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Wednesday, December 24, 2008

On this Christmas...New Story (Small Santa)

Well first of all I want to wish some special people...

Atal bihari Vajpayi ji-- Happy Birthday (25th Dec)(going to be 84 years..wowwwwwww....gr888 naaa..amazing..wonderful poet.....)(ek poetess dusre poet ko Live Long Life wish karti hai)

Gurpreet Singh(my friend) Happy Birthday (25th Dec)
Kamlesh(my aunt---buaji) Happy Birthday(25th Dec)
Arun(my cousin) Happy Birthday(in advance)(26th Dec)

n to all my readers......Merry Christmas..to all of you.....




well on this christmas I want to type some story on a child...a poor boy....I wrote this story(which i think opt for the today-christmas eve) in my school time..I got inspiration when I saw a puppy died on road by accident...that time I was not able to found out the opt title for this story...but now in my mind a title is there..i.e. Real Santa of a small Puppy

Is this title opt or not i don't know plzz you help mee out here..to find right/opt title for this story..plzz suggest me some right titles for this story.......

देव एक middle class का सीधा साधा 17 साल का लड़का था। उसके पापा एक सरकारी दफ्तर में छोटे से कर्मचारी थे। उसके घर की माली हालत ठीक न होने के कारन देव कभी भी अपना मनचाहा कोई भी सामान नहीं खरीद पाता था। उसका भी मन करता था की वो दुसरे लड़को की तरह अच्छे-अच्छे नए-नए कपड़े पहने जो की नए ज़माने के फैशन के हो। वो भी दुसरे लड़को की तरह खूब सारी मस्ती करना चाहता था। उसे भी सुंदर सुंदर नयी नयी चीज़ें चाहिए थी। एक बड़ी सी सड़क के किनारे गुमसुम सा सोच में डूबा हुआ देव..मन ही मन अपनी किस्मत को कोस रहा था। तभी उसका ध्यान एक तेज आती bike की ओर गया। bike बहुत जोर से आती हुई देव के पास से गुजरी एक बार तो देव भी डर गया था कि यह क्या हुआ। फिर जब bike चली गयी तो फिर सोचने लगा। मेरे पास भी bike होती तो मैं भी थोडा सा स्टाइल में रहता। फिल्मी हीरो की तरह bike चलाता। वोह मन ही मन अपने आपको bike चलते हुए देखने लगा। फिर दो मिनट के बाद फिर उसे वही bike की आवाज़ आई जो की इस बार दूसरी तरफ से आ रही थी। इस बार bike की speed कम थी। bike पे बैठा लड़का लगभग देव की उम्र का ही दिख रहा था। उसने नए फिल्मी हीरो की तरह designer shirt और jeans पहनी हुई थी। उसने इस शाम के समय भी काला चश्मा पहना हुआ था। देव को पता था उस काले चश्मे को बड़े पैसे वाले लोग Goggles या फिर sunglasses कहते है। मगर देव के दोस्त तो उसे धुप का चश्मा ही बुलाते थे। देव यह भी जनता था की उस लड़के ने वो धुप का चश्मा स्टाइल मारने के लिए ही पहना हुआ है वरना यहाँ धुप जैसा कोई मौसम नहीं था। शाम हो चुकी थी। वो bike वाला लड़का एक नयी फिल्म का गाना गुनगुनाता bike चला रहा था। बीच बीच में सीटियाँ भी मार रहा था। वो bike फिर से एक बार मूड कर वापस आई। इस बार वो लड़का लहरा लहरा कर bike चला रहा था। देव उसी को ध्यान से देखने लगा। bike फिर से दूर गायब हो गयी।

फिर अचानक देव को किसी कुत्ते की आवाज़ आई। उसने देखा की ठीक उसके सामने कुछ ही दूरी पर एक कुत्तिया सड़क के उस और मुह करके भौंक रही थी। देव ने उस ओर देखा जहाँ वो मुह करके भौंक रही थी तो देव की नज़र सड़क की उस और खड़े छोटे से पिल्ले(puppy) पे पड़ी जो की सड़क पार करने से डर रहा था। शायद उसकी माँ उसे इस पार आने को कह रही थी। गाडियाँ भी सड़क पे आ जा रही थी जिसकी वजह से वो पिल्ला डर रहा था। देव ने सोचा क्यों न उस पिल्ले को उसकी माँ के पास पंहुचा दूँ। तो देव सड़क पार करने लगा। तभी उसने देखा सड़क clear होते ही हिम्मत करके वो पिल्ला कुछ आगे बढ़ा और सड़क पार करने लगा। तभी देव ने देखा की वो bike वाला लड़का फिर से तेजी से bike ले कर आ रहा है। देव उस पिल्ले की और भागा। bike की speed बहुत तेज थी। देव ने bike की speed की परवा किए बिना पिल्ले को बचा लिया। पिल्ला उसके हाथो में ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रहा था। उसके मिमयाने की आवाज़ से साफ़ समझ आ रहा था की वो कितना डर गया था। देव ने उसके धड़कते दिल को महसूस किया जो जोरो से धड़क रहा था। कु कु कु कर वो अपनी माँ को बुला रहा था। देव ने उस पिल्ले को उसकी माँ के पास पंहुचा दिया जो की अपने बच्चे के लिए बिलख सी रही थी।

तभी देव को तालियों की आवाज़ आई। उसने देखा सड़क के दोनों किनारे कुछ लोग खड़े हो कर उसके लिए तालियाँ बजा रहे थे। सब देव की तारीफ किए जा रहे थे और साथ ही साथ उस bike वाले लड़के को बुरा भला कह रहे थे। देव फिर अपनी रहा पे चल दिया और फिर से सोचने लगा की उस बइके वाले लड़के से अच्छा तो मैं हूँ। वो चाहे बड़े घर का लड़का हो पर देव तो बहुत अच्छा लड़का है। उसने एक जीव की जान बचायी है। वो bike वाला लड़का अपनी जवानी के नशे में चूर है और उस नशे में वो क्या कर रहा है उसे भी नही पता। आज वो एक जीव की जान ले लेता। और जबकि देव भी जवान है पर उसे पता है की वो क्या कर रहा है। उसने आज एक बहुत अच्छा काम किया है। उसके पास पैसा न हो पर अच्छे संस्कार है। उसके पास अच्छा पहनने को, अच्छा खाने को, स्टाइल मारने को भले ही कुछ नही पर उसके पास अच्छी सोच, दुसरो के लिए भलाई, बहादुरी,तेज दिमाग और एक बड़ा अच्छा दिल है। वो चाहे फिल्मी हीरो की तरह दिखता न हो पर असल ज़िन्दगी में वो एक हीरो ही है। असली हीरो। जिसने अपनी बहादुरी से एक नन्हे से पिल्ले की जान बचायी है। तभी देव ने फ़ैसला किया आगे से वो कभी अपने को कम नही समझेगा और न ही कभी ख़ुद की तुलना उन लड़कों से करेगा।


THE END

Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.

Note:--यह कहानी मैंने उन तेज bike चलने वालो को एक सीख देने के लिए लिखी थी की ज़रा सी मस्ती, ज़रा सा स्टाइल, लड़कियों को दिखाने/पटाने का चक्कर में वो न जाने कितने मासूम जीवों की जिंदगियां सड़क दूर-घटनाओं ख़त्म कर देते है। और देव जैसे लोग सचमूच के देवता बन कर जीवों की जिंदगियां बचाते है। सच में देव उस puppy और उसकी माँ के लिए एक देवता, एक मसीहा, एक Santa बन कर आया था। या फिर उसे देवता/Santa ने अपना दूत बना कर उसे वहां भेजा था।

Note:--एक सीख और मिलती है इस कहानी से की हमें कभी भी अपनी सभ्यता अपने संस्कारों को नही भूलना चाहिए। दुसरे लोगो की हाव भावः देख कर या उनके चाल ढाल देख कर हमें कभी बिना सोचे समझे उन जैसी नक़ल नही करनी चाहिए। दुसरो की सही आदतों को अपनाना चाहिए फैशन और स्टाइल के नाम पर कुछ भी ऐसे ही नही अपनाना चाहिए।

Sunday, December 14, 2008

जीवनसाथी (part 6) (last part)

अनमोल जल्दी जल्दी तैयार हो रहा था आज उसकी कॉलेज कि आखिरी परीक्षा जो थी। रोज़ जिया को शिल्पा के यहाँ से ले कर कॉलेज जाना उसे अच्छा लगता था। अनमोल ने जिया को जब पहली बार देखा था तब ही मानो उसे दिल दे दिया था। वो जिया को तभी से बहुत प्यार करने लगा था। वो जिया की जितनी इज्ज़त करता था उतना ही उस से प्यार भी करता था। कई बार उसने जिया को बताने की कोशिश भी की मगर कह नही पाया। रोशन को गए लगभग ढेड (1+1/2) साल हो चुका था फिर भी वो जिया से कुछ नही बोल पाया था। हर बार नए तरीके से बोलने की अच्छे से तयारी कर के जाता। पर जिया के सामने जाते ही सब भूल जाता। आज भी उसने जिया को बताने के लिए नए तरीके से तयारी की थी। उसका प्लान था की परीक्षा के बाद वो जिया को बाहर ले जाएगा और वहां सब बोल देगा।

परीक्षा ख़त्म होते ही अनमोल जिया से मिला और उसे काफ़ी के लिए पुछा। Cafe coffee day पहुच कर अनमोल ने जिया से पुछा "जिया परीक्षाएं ख़त्म हो गई है। तो तुम्हारा आगे क्या इरादा है।""ह्म्म्म.... सच कहू तो मैं समाज के लिए कुछ करना चाहती हूँ। तुम्हे तो याद होगा वो इच्छा नाम की वो लड़की जो हमारे कॉलेज में वर्कशॉप करने आई थी। जिनसे मैंने बात भी की थी। बस अब उन्ही के साथ जुड़ना चाहती हूँ। ....ओह !! मैं तो भूल ही गई। अनमोल मुझे जल्दी निकलना होगा। तुम मुझे जल्दी मेरे ऑफिस के पास जों गिफ्ट वाली शॉप है वहां छोड़ दोगे प्लीज़।"

अनमोल समझ नही पाया की जिया को इतनी जल्दी क्यों है। इसलिए उसने पूछ ही लिया "वहां क्या काम है। किसी के लिए गिफ्ट लेना है क्या।" "नही नही...वो अब तुमसे क्या छुपाऊँ....का मुझे रोशन का फ़ोन आया था। वो मुझसे मिलना चाहता था। और मैं तो कल ही इच्छा जी के सामाजिक कामो के लिए अलग अलग छोटे छोटे शहरों जाने के लिए निकल रही हूँ। फिर ना जाने कब वापस आऊं। आऊं भी की नही। तुम्हे तो पता है यह सामाजिक काम ऐसे ही होते है। हमें अलग अलग जगह जाकर अनपढ़ लड़कियों को शिक्षित करना है। उन्हें पढ़ा लिखा कर उनकी जिंदगियाँ बदलनी है। उन्हें बड़े शहरों जैसी सोच देनी है। और भी बहुत से काम है। मैं तो बहुत ही उत्साहित हूँ। मगर रोशन की जिद्द है मिलने की तो मैंने उसे वहां मिलने के लिए बुलाया है।" जिया ने अनमोल को बताया और उसे हाथो से पकड़ कर उसकी bike की ओर ले गई।

अनमोल के अरमानो को फिर से किसी की नज़र लग गई थी जैसे। उसे याद आ गया फिर वहीँ पल जब उसे पता चला था की रोशन जिया से और जिया रोशन से प्यार करती है। मगर उस समय वो प्यार नया नया था। वो लोग सिर्फ़ दोस्त ही बन पाये थे। मगर आज आज तो अनमोल को बहुत ही बुरा लग रहा था कि यह सब उसी के साथ क्यों। क्यों बार बार उसकी किस्मत उसे रुलाती है। जिया हर बार उसके इतने करीब आ के दूर हो जाती है।

अगले दिन जब अनमोल जिया से मिलने उसके घर गया तो उसे शिल्पा मिली। शिल्पा को ऑफिस के लिए देर हो रही थी। इसलिए उसने अनमोल को इतना ही बताया की जिया अब वहां नही रहती वो सुबह ही इच्छा के साथ चली गई थी। अनमोल को लगा अब उसके सभी सपने जैसे टूट से गए हो।

"क्यों जिया मैडम कहाँ ख्यालों में खोयी हुई हो।" जिया ने जैसे ही यह सुना उसे लगा की यह आवाज़ उसने कहीं सुनी हुई है। उसने अपनी पुरानी यादों से निकल कर पीछे देखा तो बाहें फैलाये शिल्पा खड़ी थी। हाँ आज शादी के इस पावन दिन में उसे पुराने दोस्तों की याद तो आ ही रही थी। मगर किसी का कुछ पता नही होने के कारण वो किसी को बुला ही नही सकी। शिल्पा को उसी पते पे शादी का कार्ड भेजा था। उम्मीद नही थी वो आएगी। जिया शिल्पा को देखते ही उस से लिपट गई। "शिल्पा...ओ ...शिल्पा...मुझे खुशी हुई तुम आई।"
"बहुत मुबारक हो। आज का दिन हर लड़की के लिए एक यादगार दिन होता है। तुम्हारी इस खुशी में मुझे तो शामिल होना ही था।" शिल्पा ने कहा। "इन पिछले 2 सालो में जबसे तुम गई हो तुम्हारी कोई ख़बर ही नही आई। कहाँ हो, कैसी हो, क्या कर रही हो। न कोई चिठ्ठी न कोई फ़ोन। हमको तो जैसे भूल ही गई थी तुम।" शिल्पा ने जैसे जिया से शिकायत सी की थी।

"नही ऐसी कोई बात नही है तुम लोगो को कैसे भूल सकती हूँ मैं। ख़ास कर तुम्हे और अनमोल को। तुम दोनों को इन सालो में बहुत याद किया। और आखिरी दिन जब तुमने मुझे बताया था की अनमोल ही मेरे लिए ठीक लड़का है वो दिन तो मेरे लिए जैसे बहुत मायने रखता है। उस दिन मैं समझ नही पायी थी की तुम क्या कहना चाहती थी। पर आज समझती हूँ। सच में अनमोल ही मेरे लिए सही लड़का था। हर बार मैं उसकी भावनाओं को समझ नही पाती थी। पर अब मुझे लगता है की मैं भी उस से बहुत प्यार करने लगी हूँ। उसके पास न होने से जो खालीपन मुझे लगता है मैं तुम्हे नही बता सकती शिल्पा। वो मुझसे प्यार करता था। मैं जानती थी। हाँ जानती थी मैं और जानते हुए भी मैंने उसे कभी सुनना ही नही चाहा। क्योंकि उस समय सिर्फ़ रोशन के कुछ और सोचती नही थी। समझती नही थी। लेकिन आज इतने सालो से अनमोल से दूर रह कर अपनी जिंदगी में उसकी एहमियत समझ गई हूँ मैं। आज प्यार को समझ गई हूँ मैं। रोशन के ख्याल को दूर करने के लिए ही मैं उस से आखिरी बार मिली थी। उसी के बाद मुझे अनमोल का प्यार नज़र में आने लगा। और आज जब मेरी शादी किसी और लड़के से हो रही है जिसे मैंने देखा तक नही है तो मुझे रह रह कर अनमोल की ही याद आ रही है। शिल्पा तुम सही थी की अनमोल मुझसे प्यार करता था और मैं उसे बस दोस्त ही समझती थी। और आज जब मैं उस से प्यार करती हूँ तो वो मेरी ज़िन्दगी में है ही नही।" बोलते बोलते जिया रोने लगी थी। शिल्पा ने उसे संभाला और गले लगा लिया। फिर थोडी देर उसने जिया से पुछा.."जिस लड़के से शादी हो रही है उसे देखा तक नही है मतलब तुम यह शादी किसी मजबूरी में कर रही हो जिया.....बोलो।"
"नही..ऐसी बात नही है शिल्पा..माँ और पापा ने मुझसे पुछा था..और उस लड़के से मिलने को भी कहा था। मगर मैंने ही मना कर दिया। जब लड़का मुझे नही देखना चाहता तो मेरे देखने से क्या फरक पड़ेगा। माँ और पापा ने उसे देखा है। उनकी नज़र में ठीक है यह रिश्ता यह शादी तो मैंने हाँ कर दी। हर बार मैंने अपनी ज़िन्दगी के लिए ग़लत फैसले किए है इस बार दुसरो को मेरे लिए कुछ फैसले करने दूँ। शायद वो लोग ठीक हो। ज़िन्दगी की नई शुरुवात दुसरो के किए फैसलों से...चलो अब इस तरह भी जी लिया जाए।" जिया ने बड़ी बेरुखी से कहा तो शिल्पा सोच में पड़ गई।

तभी अचानक जिया की मौसी वहां आई और जिया से बोली..."जिया खिड़की से बाहर देखो बारात आ गई है। जल्दी जल्दी...अपने दुल्हे को देख लो..अपने दुल्हे को घोडी चड़े देखना अच्छा होता है। चलो...." जिया को खिड़की की ओर ले गई उसकी मौसी।
बारात बहुत अच्छी थी। बहुत से लोग खुशी से नाच रहे थे। तभी अचानक जिया ने देखा की बारातियों में उसके सारे दोस्त शामिल थे। उसे कुछ समझ नही आ रहा था। वो सोच ही रही थी की उसका ध्यान शिल्पा ने इशारे से घोडी पे चड़े दुल्हे की ओर कर दिया। जिया ने दयां से देखा तो उसकी खुशी का ठिकाना ही नही रहा। उसे यकीन ही नही हुआ की जो वो देख रही है वो सपना है या कुछ और। दुल्हे बने अनमोल ने भी तभी खिड़की की ओर देखा और मुस्कुरा दिया। तभी शिल्पा कुछ सोच बोली..."ओह....अब समझी की क्यों लड़के ने तुझे देखने से मना कर दिया था। जिया अनमोल मुझे कुछ महीनो पहले ही मिला था तो मैंने उसे तेरे और रोशन के बीच हुई आखिरी मुलाक़ात के बारे में सब बता दिया था कि तुम रोशन से मिलने क्यों गई थी। तुम रोशन को अपनी ज़िन्दगी से पूरी तरह निकलने के लिए ही उस से आखिरी बार मिली थी। मुझे नही पता था कि अनमोल इतना सब कुछ प्लान कर लेगा।"
और फिर जिया कि शादी खूब धूम धाम से हुई। सभी दोस्तों नऐ मिलकर अनमोल और जिया के लिए खूब सारी शुभकामनाएं दी और खूब नाचे गाये। सच में एक यादगार दिन और एक यादगार शादी।

THE END
Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.

जीवनसाथी (part 5)

अगले दिन शाम के 7 बजे अनमोल अपने नए घर की खिड़की पे खड़े कल शाम जिया और उसके बीच हुई बातचीत को समझने की कोशिश कर रहा था। रोशन उन दोनों को घर में छोड़ कर कुछ पार्टी का सामान लेने बाज़ार चला गया था। तब जिया ने अनमोल को बताया की जिया और रोशन अब एक साथ यहाँ रहने लगे है। जिसे लोग LIVE IN Relationship कहते है। जिया चाह कर भी किसी को नही बता पायी। बस शिल्पा को ही इस बारे पता है। जिया घर से जल्दी इसीलिए आ गई थी क्योंकि उसे लग रहा था की वो अब रोशन के बिना नही रह सकती। तब रोशन और शिल्पा ने उसे LIVE IN Relationship के बारे में बताया। शुरू में जिया को यह सब ठीक नही लगा था इसीलिए उसने मना किया। पर जब शिल्पा ने उसे समझाया कि रोशन उसे बहुत प्यार करता है और इस तरह के रिश्ते में कोई प्रॉब्लम नही है। यह तो आजकल आम बात है। जिया को भी रोशन की जिद्द के आगे झुकना ही पड़ा। जिया ने अपने घर वालो को भी नही बताया क्योंकि वो जानती थी की उसके घर वाले यह कभी इस बिन शादी के रिश्ते को स्वीकार नही करेंगे। फिर भी पता नही क्यों वो रोशन के साथ रहने लगी जहाँ सब उसे रोशन की पत्नी समझते है। जिया अनमोल से भी यही चाहती थी की वो यह बात अब किसी और को ना बताये। जैसा चल रहा है वैसा ही चलने दे। न तो कॉलेज में किसी को बताये न ही यहाँ घर के आस पास किसी को बताये। रोज़ जिया को रोशन उसके ऑफिस से लेके घर आता था। मगर कल वो उसे शिल्पा के यहाँ से उसे ला रहा था। जिया शिल्पा के साथ कुछ खरीदारी करके आई थी इसीलिए उसके कपड़े बदले हुए थे। फिर रोशन के आते ही तीनो ने रोशन का लाया हुआ खाना खाया। इस बीच अजीब सी शान्ति थी। न तो अनमोल कुछ बोल पा रहा था और न ही वो लोग कुछ बोल रहे थे। कई दिनों तक अनमोल के मन में यही सवाल उठता रहा कि जिया रोशन के साथ सही मायनो में इस तरह रहना चाहती है। या वो इस रिश्ते से खुश है या नाखुश। या फिर डरी हुई है रोशन को खो देने के डर से। लेकिन जिया तो बोल रही थी वो रोशन के साथ बहुत खुश है। फिर भी अनमोल को बहुत अजीब सा लग रहा था कि कोई खुश कैसे रह सकता है जबकि वो इस खुशी को किसी और के सामने ही न जाहिर कर सके। चोरी छुपे किए हुए कामो में किसी को क्या खुशी मिलती होगी।

तीन चार महीनो बाद अनमोल जिया को लेने उसके घर गया। "जिया...जिया... जल्दी करो कॉलेज के लिए देर हो रही है। रोशन चला गया क्या...?" अनमोल ने जिया से पुछा जो कि पूरी तरह से तयार नही थी।"
हाँ बस पाँच मिनट दो अभी बाल बना के आती हूँ। जब तक तुम मेरा लंच बाँध दोगे क्या अनमोल। हाँ रोशन तो ऑफिस के लिए कबका निकल गया है।" जिया ने बोला। अनमोल जल्दी जल्दी जिया का खाना बाँधने लगा। जिया भी जल्दी से बाल बनाने लगी। "अनमोल जरा लंच को उस लाल बैग में रख दो। मैं sandle पहन लेती हूँ। " जिया ने अनमोल को अगला काम बताया। अनमोल करता क्या न करता चुप चाप लंच को लाल बैग में रखने लगा। अचानक उसकी नज़र लाल बैग के अंदर पड़ी। उस बैग में जिया के कपड़े भी थे। और साथ ही में एक बड़ा बैग और रखा हुआ था। अनमोल कुछ समझ पाता इस से पहले ही जिया कि आवाज़ उसके कानो तक पड़ी। "चलो मैं तयार हूँ।....ओह !! हाँ आज सामान कुछ ज्यादा है। वो मुझे शिल्पा के यहाँ जाना है कुछ दिनों के लिए।"अनमोल यह सुनकर थोड़ा परेशान हो गया। उसकी परेशानी देख जिया फिर बोली "रोशन के चाचा कल यहाँ आ रहे है तो रोशन ने मुझे बोला कि मैं जब तक शिल्पा के यहाँ रह लूँ। अब जल्दी चलो वरना देर हो जायेगी। पहले यह सामान शिल्पा के यहाँ भी छोड़ना है। शिल्पा भी इंतज़ार करती होगी।....चलो चलो न।" जिया अनमोल को खीचते हुए बाहर ले गई।

दो दिन बाद जब अनमोल ने अपने घर से बाहर देखा तो उसे रोशन के घर के सामने बहुत सारे लोगो की भीड़ नज़र आई। अनमोल बाहर आया तो उसे पता चला कि रोशन ने कई महीनो से मकान मालिक के समझाने के बाद भी घर का किराया नही दिया है इसीलिए उसके मकान मालिक ने पुलिस बुलाई है। अनमोल ने बहुत बीच बचाव करने कि कोशिश कि मगर मकान मालिक मान ही नही रहा था। रोशन बोल रहा था कि उसकी नौकरी लग गई है और अब सब ठीक हो जाएगा मगर मकान मालिक पर कोई भी बात असर नही कर रही थी। अनमोल के पास भी कुछ खास रकम नही थी जिस से वो मकान मालिक का मुह बंद कर सके। पुलिस रोशन को वहां से ले गई।

अगले दिन अनमोल जिया के साथ रोशन को छुडाने पुलिस स्टेशन भी गए मगर वहां पता चला कि रोशन के घरवाले सुबह ही आ कर उसे ले गए। वापस घर आकर देखा तो रोशन वहां भी नही था। जिया का रो रो कर बुरा हाल हो रहा था। काफ़ी देर से उसे फ़ोन भी लगाया मगर रोशन का फ़ोन तो बंद था। पूरा दिन रोशन को ढूढ़ते ढूढ़ते जब वो दोनों थक गए तो अनमोल ने जिया को शिल्पा के यहाँ छोड़ दिया और ख़ुद भी घर आ गया। रोज़ वो पड़ोसियों से रोशन के बारे में पूछता कि वो आया था सामान लेने तो सब उसे यही कहते कि उस दिन पुलिस के साथ ही उसे देखा था।


to be continue....
Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.


Saturday, December 13, 2008

जीवनसाथी (part 4)

अनमोल को नही पता था की उसे मौका इतनी जल्दी मिल जाएगा...जैसे ही उसने जिया को अकेले लाइब्रेरी की ओर जाते देखा वो उसकी ओर चल दिया.."जिया रुको मुझे भी लाइब्रेरी जाना है।" अनमोल बोला और जिया के साथ साथ चल दिया। "जिया कल मैं नही आऊंगा कॉलेज" अनमोल ने जिया को बताया। "क्यों...कल ना आने की कोई खास वजह...." जिया ने अनमोल से पुछा। "वो मेरे मामा जिनके यहाँ मैं रहता हूँ उनकी posting किसी दुसरे शहर हो गई है। तो अब मुझे अपने लिए नया मकान लेना होगा रहने के लिए। आज सुबह ही मामा ने मकान देख लिया है। खैर मकान तो मिल गया है बस कल वहां अपना सामान जमाना है।" अनमोल ने जिया को बताया। जिया ने मुस्कुरा के अनमोल को देखा। "जिया क्या बात है आज तुम उदास उदास सी लग रही हो। कोई बात है तो मुझे बता सकती हो।" अनमोल ने जिया से सीधे सीधे ही पूछ लिया। जिया थोड़ा सा हिचकिचाते हुए बोली "नही..नही तो..मैं उदास उदास सी नही अनमोल ऐसा कुछ नही है...वो....वो...हाँ नौकरी भी करती हूँ ना तो बस थोडी सी थकान है और कुछ नही।"

अनमोल ने बहुत कोशिश की मगर जिया उसे कुछ नही बता रही थी। फिर अनमोल को लगा शायद कुछ ऐसा हो ही नही जैसा वो सोच रहा है जिया ठीक ही कह रही हो कि थकान की वजह से वो ऐसी लग रही हो उसे। या फिर ऐसा भी हो सकता है की वो अनमोल को बताना ही नही चाहती हो।

अगले दिन अनमोल ठीक सुबह 8 बजे अपने नए मकान के सामने अपना सामान लिए खड़ा था। ऑटो वाले को पैसे दे ही रहा था कि उसकी नज़र सामने वाले घर पर पड़ी। वहां उसने रोशन को अंदर जाते हुए देखा। उसने आवाज़ लगनी चाही पर रोशन अंदर जा चुका था। अनमोल ने सोचा पहले घर ठीक थक कर लूँ फिर सामने वाले घर में जा कर रोशन से मिल कर उसे surprise कर दूंगा। अनमोल खुश था कि उसके सामने वाले घर में कोई उसका जानने वाला ही रहता है।

करीब 8:30 बजे अनमोल घर से निकल कर सामने वाले हर की ओर चल दिया। वो उस और जा ही रहा था की उसने देखा की रोशन अपनी bike पर एक लड़की को बिठाये ले जा रहा है। वो सोच में पड़ गया की वो लड़की कौन हो सकती है। क्योंकि अनमोल जनता था की रोशन अकेला ही रहता है। उसके साथ और कोई नही था इस शहर में।

दिन भर अनमोल सोचता रहा। उसे कभी तो लगता की उसकी सोचने की शक्ति ख़त्म सी हो गई है। और कभी उसे लगता की वो जो सोच रहा है ऐसा क्या पता हो ही ना। शाम को करीब 4 बजे उसने कॉलेज जाने की सोची। वो जिया से मिलना चाहता था....सच का पता लगना चाहता था। वो कॉलेज के गेट तक पंहुचा ही था की उसे महक और दीपक दिखे। उनसे पूछने पे पता चला की जिया आज जल्दी ही कॉलेज से चली गई थी।

वापस घर आया तो अनमोल ने जिया को रोशन के साथ ही देखा। दोनों उस सामने वाले घर की और जा रहे थे। उन लोगो ने भी उसे देख लिया था। "अरे अनमोल तुम यहाँ कैसे ....कितनो दिनों बाद मिले..." रोशन बोला। अनमोल ने देखा की जिया ने वही कपड़े नही पहने हुए थे जो सुबह उसने रोशन के साथ बैठी लड़की को पहने देखा था। अनमोल को लग रहा था की वो दलदल के अंदर धसता चला जा रहा है। कोई कुए में उसे दखा दे रहा है।

जिया थोडी सी डरी हुई लग रही थी। "अनमोल तुमने घर कहाँ लिया है। आस पास ही है क्या।" जिया ने अनमोल से पुछा। "हाँ सामने वाले घर मेरा ही तो है।" अनमोल ने जवाब दिया तो जिया के डर में और गहरायी आ गई थी। "अरे वाह! यह तो बहुत अच्छा हुआ अब मुझे रोज़ रोज़ जिया को कॉलेज नही छोड़ना पड़ेगा। क्यों जिया अब तुम अनमोल के साथ रोज़ कॉलेज चली जाना।" रोशन खुश हो कर बोला।

"अनमोल तुम्हे बहुत कुछ बताना है चलो घर के अंदर आओ। ऐसा बहुत कुछ है जो तुम्हे नही पता है।" जिया ने अनमोल का हाथ पकड़ कर घर के अंदर आने को कहा तो अनमोल चल दिया क्योंकि उसे अपने बहुत सारे सवालों के जवाब भी तो चाहिए थे जिया और रोशन से।

to be continue....

Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.

Friday, December 12, 2008

जीवनसाथी (part 3)

अपने कमरे को खुला पाकर जिया समझ गई थी की शिल्पा कमरे में ही है। शायद आज वो ख़ुद लेट हो गई थी। बहुत थक गई थी वो। कमरे के अंदर आते ही उसने अपना बैग एक ओर पटका और अपने बिस्तर पर अपने आपको ढीला छोड़ कर गिरा दिया। बिस्तर पे पड़ते ही उसे बहुत आराम महसूस हुआ। "क्या बात है जिया बहुत खुश लग रही हो। और आज इतनी देर कहाँ लगा दी मैडम ने। लाइब्रेरी में इतनी देर तक पढ़ रही थी क्या। या फिर रोशन के साथ कहीं लम्बी सैर करके आई हो।" शिल्पा जैसे उसे छेड़ रही थी। असल में तो जिया रोशन के साथ पूरा दिन घूम कर ही आई थी। उसका आज पूरा दिन बहुत अच्छा गया था।
"तो इसका मतलब तुमने रोशन को हाँ कर दी है। है ना !!...मैं जानती थी तुम रोशन को न नही बोल सकती। मैंने तो रोशन को बोला भी था कि वो बेकार में तुम्हारे जवाब की इतनी फ़िक्र कर रहा है। सभी जानते थे कि तुम हाँ ही बोलोगी।" शिल्पा का इतना बोलना था कि जिया ने उसे टोक दिया। "मतलब रोशन मुझे अपने प्यार का इज़हार करने वाला है तुम सबको पहले ही पता था। और मेरी दिल उसके लिए धड़कता है यह भी सब जानते थे।"
"हाँ... यह तो सब जानते है। कि तुम रोशन से बहुत प्यार करती हो। रोशन ने यह सब परसों ही बोलने का प्लान बना लिया था जब वो मुझसे मिला था। वो जानना चाहता था कि तुम उसके बारे में क्या सोचती हो। उसने मुझे भी बताया कि वो भी तुमसे प्यार करता है। तो मैंने ही बोला कि देर न करो जल्दी से जल्दी बोल दो।....तुम खुश हो ना जिया॥"
"हाँ!! बहुत खुश हूँ।" बस इतना बोल जिया सुन्हेरे सपनो में खो गई। और शिल्पा ने भी उसे और तंग न करने को सोचा। मगर शिल्पा कल ही जिया से एक पार्टी की उम्मीद तो कर ही रही थी।
"हेल्लो जिया.....कैसी हो यार। तुम्हारी तो परीक्षायों के बाद न कोई बात न ख़बर" महक जिया को कॉलेज में आते देख दूर से ही बोली। "हेल्लो महक मैं कहाँ गई हूँ यार तुम ही सब लोग कॉलेज की छुट्टियों में कहीं चले गए थे यार। मैं परीक्षायों के दो दिन बाद घर गई थी। और एक हफ्ते में ही वापस आ गई थी। वापस आ कर पता चला तुम सब शहर में ही नही हो।" जिया ने महक के साथ साथ क्लास कि ओर चलते हुए से महक से पुछा।
"हाँ मैं तो अपनी नानी के यहाँ चली गई थी। दीपक और टीना भी अपने अपने relatives के यहाँ। रहमान तो घूमने कहीं गया हुआ था। हमने सोचा तुम पूरी छुट्टियाँ अपने घर में ही बिताने वाली हो। अनमोल का भी कुछ अता पता नही है।" महक ने जिया को बताया। "हाँ अनमोल भी शायद अपने घर ही गया है।" जिया बोली।
"महक.....जिया .....महक....जिया...." पीछे से आवाज़ आई तो दोनों ने पलट कर देखा तो उन्हें नज़र आया। "कैसे हो रहमान...." जिया ने पुछा। "हाँ मैं अच्छा हूँ तुम लोग कैसे हो...तुम लोगो ने दीपक और टीना की ख़बर सुनी। वो लोग अब साथ साथ रहने लगे है। LIVE-IN you know.."
LIVE IN यह बात जिया ने पहली बार रोशन से सुनी थी। जब रोशन उसे अपने घर बुला रहा था साथ रहने के लिए। यह सब उसे बहुत अजीब लगा था इसीलिए जिया ने उसे मना कर दिया था। हालाकि शिल्पा ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की थी कि इसमें कोई बुराई नही है। मगर जिया यह करना ही नही चाहती थी। जिया यह सब सोच ही रही थी कि अचानक एक आवाज़ से वो चौक गई। "क्या बात है पूरी पलटन यहीं है....कैसे हो दोस्तों..." यह दीपक कि आवाज़ थी जो कि टीना के साथ आ रहा था। दोनों बहुत खुश नज़र आ रहे थे।
"जिया कैसी हो तुम और तुम्हारा वो कैसा है रोशन..." टीना ने उस से शरारती नज़रों से पुछा। "हाँ सब ठीक है। मैं यहीं पार्ट टाइम नौकरी करती हूँ। और रोशन भी नौकरी ढूंढ रहा है।" जिया ने जवाब दिया तो सबने उसे नौकरी के लिए बधाइयाँ दी।
तभी उनकी second year की पहली क्लास शुरू हो गयी। अनमोल भी दूसरी क्लास के ख़त्म होते ही आ गया। उसके आते ही सब बहुत खुश हुए। अनमोल भी सबसे मिलके खुश हुआ। मगर अनमोल को जैसे की पता चल चुका था कि जिया के साथ कुछ हुआ है वो उसे खुश नज़र नही आ रही थी। अनमोल जानता था कि जिया सबके सामने नही बताएगी। हाँ अनमोल ने यह सोच लिया था कि अकेले में मौका देख कर वो उस से ज़रूर
पूछेगा।



to be continue....

Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.


Thursday, December 11, 2008

जीवनसाथी (part 2)

करीब 2 बजे रोज़ जिया और अनमोल रोशन के बुलाये गए स्थान पर पहुँच जाते थे। अनमोल आगे आगे और जिया पीछे पीछे अब अनमोल से से जिया को कोई भी दिक्कत महसूस नही होती थी। वो अनमोल को अपने अच्छे दोस्तों में देखने लगी थी। उस पर विश्वास करने लगी थी। क्योंकि कहीं न कहीं जिया को भी लगता था कि वो भी एक सीधे-साधे छोटे शहर से था इसीलिए वो जिया को अच्छे से समझने लगा था। और जिया भी उसे समझने लगी थी। मगर अब भी जिया रोशन को देखती तो देखती रह जाती थी... हालाकि रोशन से उसकी कुछ खास बात नही होती थी क्योंकि रोशन उस से ज्यादा बात ही नही करता था। नाटक एक बहुत ही हास्य विषय पर था। पति पत्नी को बीच होने वाली नोकझोक में कैसे नौकर लोग मज़े लेते है यह नाटक में हास्य रस के साथ अच्छे से दर्शाया गया था। जिया और अनमोल बहुत अच्छे से अपना अपना पात्र प्रस्तुत कर रहे थे।

फिर जब नाटक का दिन आया। जिया को मंच पे सबके सामने आने में हल्का सा डर महसूस हो रहा था। अनमोल को बताना चाहती थी पर वो भी उसके करीब नही था। वो मंच के पीछे तैयार खड़ी थी तभी उसे रोशन दिखा। उसने उसे पुकारा और अपनी परेशानी बताने कि कोशिश की "वो रोशन....ह्म्म्म्म....यूँ सबके सामने....पता नही ठीक से.....ह्म्म्म...वो क्या है न...पहले कभी..."

"तुम फ़िक्र न करो सब ठीक होगा। तुम लोग बहुत अच्छा कर रहे हो। और फिर यहाँ कोई और है भी तो नही बस हम विद्यार्थी लोग ही हैं इनसे क्या डरना।" रोशन बहुत अच्छे से जिया को समझा रहा था। मगर जिया भी कहाँ उसे ठीक से सुन पा रही थी..उसे तो रोशन को एक नज़र भर देखना ही था। खैर यह पहली बार था जब जिया को रोशन अकेले में मिला था और बहुत सी बातें कर रहा था।

फिर कुछ ही महीनो बाद रोशन से उसकी दोस्ती पक्की हो गई थी। अब्ब रोशन और जिया अच्छे से खुल के बातें करते थे। रोशन को जैसा जिया ने सोचा था वो उसके बिल्कुल उलट था। बहुत खुलके और हसी मजाक करने वाला। सबको उसका व्यवहार पसंद था। जिया भी अब रोशन जो चाहे वो कह सकती थी। अब वो उसे देखती ही नही रहती थी बल्कि उसकी बातिएँ भी अच्छे से सुनती और अपनी बातें उसे सुनाती थी। रोशन के सामने वो अनमोल, दीपक, रहमान, महक और टीना सबको भूल जाती थी। जिया क्लास में इन सबके साथ होती थी मगर क्लास के बाद रोशन का साथ ही उसे भाता था। रोशन जहाँ कहता वो उसके साथ चल देती थी। रोशन को वो शिल्पा से भी मिलवा चुकी थी जब एक बार रोशन उसे हॉस्टल तक छोड़ने आया था। शिल्पा को भी रोशन ने अपना दीवाना बना दिया था। जिया और रोशन अक्सर कॉलेज के बहार भी मिलने लगे थे और अब कॉलेज में तो सब उसकी और रोशन की बातें भी करने लगे थे। इसी तरह दिन बीतने लगे।

कॉलेज का एक सत्र ख़त्म होने को था। परीक्षाएं सर पर थी अनमोल और जिया अब पडी पे ध्यान देने लगे। ज्यादा से ज्यादा समय लाइब्रेरी में बीतने लगा था उनका। क्लास नोट्स और किताबें एक दुसरे से share करते थे।

एक दिन अनमोल लाइब्रेरी में आते ही जिया से बोला "रोशन तुमको कैंटीन के पास बुला रहा ही उसे कुछ ज़रूरी काम ही शायद। " जिया बोली "अभी नही ...अभी यह भाग पड़ लूँ फिर जाती हूँ।" अनमोल उसके सामने से किताब अपनी ओर सरकाते हुए बोला "नही फिर नही अभी जाओ। मैं यह भाग पूरा पढ़ कर तुमको कल बता दूंगा अच्छे से अभी तो तुम रोशन की बात सुन लो ध्यान से।"

जिया को यह सब अजीब लगा था। पर फिर भी वो उठी और कैंटीन की ओर चल दी। जैसे ही वो कैंटीन के दरवाजे के पास पहुँची उसे किसी के गाने की आवाज़ सुने दी। "तुम बिन जाऊं कहाँ....तुम बिन जाऊं कहाँ..." जिया ने अंदर जाते ही देखा की यह कोई और नही रोशन ही गा रहा था। जिया को कुछ समझ नही आ रहा था। जिया को देख रोशन और जोरो से गाने लगा। जिया का हाथ थाम कर उसके साथ नाचने लगा। जिया भी खुश होने लगी। फिर गाना ख़त्म होते ही रोशन अपने घुटनों के बल बैठा और एक हाथ जिया की और बड़ा कर उसने कहा.."जिया मुझे नही पता क्यों पर जबसे तुम पढ़ाई की वजह से मुझसे कम मिलने लगी हो मैं तुमको हर पल याद करता हूँ। मुझे पता नही क्या हो गया ही एक एक दिन तुम्हारे साथ बिताया हुआ हर एक पल मुझे याद आता है। मैं ख़ुद पढ़ाई की ओर ध्यान नही दे पा रहा हूँ। रह रह के दिल में यही बात आ रही थी की आज तुमसे कह ही दूँ। शायद तभी मैं पढ़ाई पे पुरा ध्यान दे सकूँ...सोचा था यह बात मैं तुमको कुछ बनके कोई job के ढूँढने के बाद बोलूँगा पर अब रहा नही जाता...इसलिए अच्छा है मैं आज ही बोल दूँ...की.....की....I LOVE YOU......मुझे पता है इस तरह प्यार का इज़हार करना बहुत अजीब लग रहाहोगा तुम्हे..मुझे भी लग रहा है बस अब तुम भी बोल दो की ...YOU LOVE ME TOO.."

to be continue....

Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.

Wednesday, December 10, 2008

जीवनसाथी (part 1)

"मौसी बारात आ गई है......गली के उस छोर पे है बारात" काजल ज़ोर से बोलती हुई उपर के कमरे तक आई। काजल जिया की मौसेरी बहन है। जिया को भी उसकी आवाज़ सबसे उपर के कमरे तक आ गई थी। जिया मन ही मन सोच रही थी कि आज उसकी शादी है...वो दुल्हन बनी तैयार खड़ी है...सभी ओर खुशियाँ ही खुशियाँ है। जैसा कि वो अपने सपनो में देखा करती थी। कितना कुछ बदल गया है उसकी ज़िन्दगी में पिछले इन 5 सालो में। यह घर नही बदला यहाँ के लोग नही बदले मगर फिर भी कितना कुछ बदल गया है।

उसे याद है जब वो यहाँ के पास ही के स्कूल से 12th पास करके घर आई थी तो उसके घर वाले कितने खुश थे। उसके नम्बर ही इतने अच्छे आए थे। तभी तो उसका दाखिला बड़े आराम से बड़े शहर के बड़े कॉलेज में हो गया था। वो तो बहुत खुश थी उसकी माँ ही बस थोड़ा परेशान थी..क्योंकि वो पहली बार घर से परिवार वालो से दूर जा रही थी। और वो भी इतनी दूर बड़े शहर में ..जहाँ वो किसी को नही जानती थी।

पर उसे फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत ही नही पड़ी उसके पापा और उसके मामा ने उसे एक अच्छे से girls hostel में ठहरवा दिया था जहाँ उसे किसी बात की परेशानी नही थी और माँ को भी बहुत समझाया पापा और मामा ने की माँ मना ही नही कर पायी। डरते डरते रोते रोते विदा किया जिया को।


जिया नए शहर में आके बहुत खुश थी। उसे पहले दिन ही एक अच्छी दोस्त मिल गई थी जो की उसी के कमरे में उसके साथ रहने वाली थी। वो उस से बड़ी थी और शहर के बड़े पोश इलाके में नौकरी करती थी। उसका नाम शिल्पा था। वो यहाँ दो साल से रह रही थी। शिल्पा ने भी येही इसी शहर में अपनी कॉलेज की पढ़ाई की थी और फिर यही काम करने लगी थी। कुछ ही घंटो की बातचीत में शिल्पा से जिया की अच्छी दोस्ती हो गई थी। अगले दिन कॉलेज जाना था। कॉलेज का पहला पहला दिन miss नही करना चाहती थी जिया इसलिए सुबह 7:00 बजे का alarm लगा के वो सो गई।

सुबह 9:00 बजे की क्लास के लिए जिया बहुत जल्दी कॉलेज पहुँच गई थी। कॉलेज में बहुत भीड़ थी..जैसे की कोई मेला लगा हो..शिल्पा ने जिया को बताया था की कॉलेज का माहोल ऐसा ही होता ऐसा ही होता है। क्लास में जैसे ही जिया ने कदम रखा क्लास के सभी लोगो ने तालियाँ बजाना शुरू कर दिया। उसे नही पता था की क्या हो रहा है उसने देखा की क्लास के एक और सब डरे हुए सहमे हुए कोई 30-40 लोग खड़े थे। और क्लास के दूसरी और कुछ रोबदार कुछ हसी ठिठोली करते हुए लोग खड़े थे।

"तुम first year की स्टुडेंट हो" उस रोबदार लोगो में किसी ने जिया से पुछा। जिया कुछ बोल पाये उस से पहले ही वोह फिर बोला...."मैं रोशन हूँ। तुम्हारा सीनियर 3rd year से।" जिया ने देखा वो लंबा-चौडा अच्छी कदकाठी वाला लड़का था। कुछ देर के लिए तो वो सब कुछ भूल कर उसे देखती ही रही।

"हमने एक गेम प्लाट किया है की जो भी अगला नया लड़का और नई लड़की इस क्लास में आएगा वो हमारे अगले कॉलेज में होने वाले नाटक में पति पत्नी के पात्र निभाएंगे। तुम वो लड़की हो इसलिए मुबारक हो। अब देखना यह है की नया लड़का कौन होगा जो तुम्हारे साथ उस नाटक में तुम्हारा पति का पार्ट निभाएगा।"

जिया कुछ समझ नही पा रही थी की यह क्या हो रहा है। मगर उसे वो सब करना होगा जो उसे उसके सीनियर कहेंगे यह बात शिल्पा ने उसे बताई थी। खैर वो भी सबकी तरह अपनी नज़रें क्लास के दरवाजे की ओर लगाये खड़ी हो गई। करीब 10 min बाद एक लड़का क्लास में अंदर आया..वो एक नीली shirt और काली jeans में सिंपल सा लड़का था। पतला दुबला मगर लंबा और चौडे कन्धों वाला लड़का था। रोशन ने उसको भी वही सब समझाया जो उसने जिया को समझाया था..वो लड़का पहले तो हिचकिचाया फिर शायद जिया को देख कर मान गया।

रोशन ने उन दोनों को क्लास में साथ बैठने को कहा...और सदा साथ रहने को कहा। जिया ने उस दिन हरे रंग का सूट डाला था क्योंकि उसे पता था की हरा रंग उसपे बहुत खिलता है। रोशन और उसके साथियों के जाते ही सबने एक गहरी साँस ली फिर एक दुसरे से बातें करने लगे। सब लोग उन सेनिओर्स के बारे में बात करते और उनके रोबदार रवैये को याद कर सहम जाते। जिया को भी बहुत सी बातें पता चली की उसके आने से पहल भी वो लोग नए लड़के लड़कियों से गाना गवाना डांस करवाना एक दुसरे से लडाई करना सब कुछ करवा चुके थे। कई नए लड़को ने मना भी किया तो उनको सज़ा भी दी गई थी। पहले ही दिन जिया सहम गई थी।

तभी क्लास में प्रोफ़ेसर आ गए और क्लास शुरू हो गई। क्लास में सब और शान्ति ही शान्ति थी और प्रोफ़ेसर के जाते ही फिर वही शान्ति भंग हो गई थी। सब लोग एक दुसरे के बारे अच्छे से जानना चाहते थे।

"हेल्लो मेरा नाम अनमोल है। अब हमें साथ ही रहना है तो एक दुसरे के बारे में थोड़ा जान ले तो ठीक रहेगा। आपका नाम....." साथ बैठे उसी लड़के ने जिया से कहा।

"hi. जी मेरा नाम जिया है।....." जिया ने उत्तर दिया। थोडी देर तक अनमोल जिया से बात करता रहा कुछ अपने बारे में बताता और कुछ जिया से पूछता जिया भी बस दो टूक जवाब देती। बाकी का पूर दिन इसी तरह क्लास और बातों में निकल गया। जिया ने दो दोस्त और बना लिए- महक और टीना और उधर अनमोल ने भी कुछ दोस्त बनाये- दीपक और रहमान। सबने एक साथ कैंटीन में खाना भी खाया

जिया का पहला दिन कुछ खास नही गया जैसा की शिल्पा ने उसे बोला था की यह दिन एक यादगार दिन होता है। हाँ जिया ने कुछ नए दोस्त ज़रूर बनाये मगर वो तो रोशन को अपना दोस्त बनाना चाहती थी। खैर अगले कुछ 7-8 दिन ऐसे ही कॉलेज में घुमते घुमते ही चले गए। कॉलेज का खेल का मैदान कॉलेज की लाइब्रेरी कॉलेज के गेट के पास बैठा चाट वाला।

"जिया...जिया..." लाइब्रेरी के पास जिया महक, टीना, दीपक और रहमान के साथ खड़ी थी की तभी उसे आवाज़ सुनाई दी। उसने पलट के देखा तो अनमोल उसे पुकार रहा था। अनमोल के साथ रोशन भी था जिसे देख कर जिया पता नही क्यों खुश सी हो गई थी। जिया बिना कुछ सोचे उस और चल पड़ी। "hello sir....how r you sir" जिया ने रोशन की और देख कर पुछा। "सर नही नही.... जिया सर नही मुझे रोशन ही बोल सकती हो..यार हम एक ही कॉलेज में है ..यह सर सर तो ऐसा लगेगा जैसे की मैं कितना बड़ा हूँ..मैं बिल्कुल ठीक हूँ ...तुमको याद है न हमारा नाटक जिसमें तुम्हे और अनमोल को साथ साथ काम करना है। अनमोल बता रहा था की तुम लोग अब अच्छे दोस्त बन गए हो। अच्छा है अब तुमको साथ साथ काम करने में कोई परेशानी नही होगी।"

"जिया मैंने रोशन को बताया है की मैं पहले भी कई बार नाटक कर चुका हूँ। मुझे स्कूल में भी नाटक करने का बहुत शौक था। रोशन तुम फ़िक्र न करो हम सब संभाल लेंगे। मुझे बहुत अच्छा लगा रोशन की तुम लोगो ने हम नए और fachchas को साथ में ले कर एक event कर रहे हो..." अनमोल बोला।

"नही ऐसी कोई बात नही है वो तो हम लोगो को खुश होना चाहिए की हम नए talent को एक मौका दे रहे है..यह तो बहुत अच्छा है अनमोल की तुम पहले से ही बहुत काम कर चुके हो। फिर तो हमें भी तुमसे कुछ सीखने को मिलेगा। चलो मैं चलता हूँ मुझे जाना है तुम जिया को सही टाइम पे कल ले आना में।

to be continue....
Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.

Thursday, December 4, 2008

मैं मुंबई का ताज हूँ।

एक ताज आगरा का और एक मैं ख़ुद मुंबई का ताज ही हूँ।
वो एक मकबरा है और अब मैं एक मकबरा ही हूँ॥
वो किसी की याद में है बना और मैं अब ख़ुद एक याद ही हूँ।
वो किसी के प्यार का प्रतीक है और मैं 56 घंटों के आतंक का प्रतीक ही हूँ॥

कल भी मुझे लोग निहारने आते थे और आज भी लोग मुझे देख रहे है।
कल मेरी खूबसूरती की तारीफ़ होती थी और आज मेरे काले धब्बो पे लोग गौर कर रहे है॥
एक तरफ़ गेट ऑफ़ इंडिया और सामने अपार समुंदर को निहारते लोग हुआ करते थे।
अब बस रह गए है कुछ ही लोग जो बार बार मेरे उन दिनों की याद मुझे दिला रहे है॥

कल यहाँ meetings,parties,dinners और lunches हुआ करते थे।
आज हर तरफ़ दहशत,आतक के निशान,कालिक और धुआ ही धुआ है॥
यहाँ Tata,Birla,Mittal,Ambaani और न जाने कितने लोगो ने कई कठिन फैसले लिए है।
मुझे देखने आए देशमुख और रामू भी जवाब नही दे पाये की वो आए किस लिए है॥

लोगो का इस तरह माजूम और रोश मैंने कभी मुंबई में ना देखा है।
मुझे और मेरे जैसे दूसरी इम्मारातो के लिए कभी इतने हमदर्दों का जलूस ना देखा है॥
देखा है मैं मेरी पनाह में आए कुछ लोगो को खुश होते हुए जश्न मानते हुए।
दहशत से डरे सहमे से गले लग लग कर अंधेरे में रोते हुए उन लोगो को मैंने देखा है॥

भारत में आए लोग आते है घुमते है आते ही पूछते है की आगरा का ताज कहाँ है।
सातो अजूबो में एक उस प्यार की इम्मारत की जैसी मिसाल सब सोचेंगे आज कहाँ है॥
देखेंगे वो हर इम्मार्तों को जायेंगे निहारेंगे हर कोने कोने भारत के अच्छे बुरे यादगार वो पल।
पर अब लगता है सब यहीं पूछेंगे की यह ताज तो ठीक है अब बताओ मुंबई का ताज कहाँ है॥

एक ताज आगरा का और एक मैं ख़ुद मुंबई का ताज ही हूँ
वो एक मकबरा है और अब मैं एक मकबरा ही हूँ
वो किसी की याद में है बना और मैं अब ख़ुद एक याद ही हूँ
वो किसी के प्यार का प्रतीक है और मैं 56 घंटों के आतंक का प्रतीक ही हूँ