शाम को करीब 4 बजे इंस्पेक्टर ने घर आकर सबको बताया की अनिल का एक दोस्त अभी आज ही वापस लौटा है। उसी के घर से शिल्पा मिली थी। अनिल के दोस्त के कहने के मुताबिक अनिल और शिल्पा कॉलेज में ही मिले थे और अनिल को शिल्पा से प्यार हो गया था। कई बार अनिल ने शिल्पा को बताने की कोशिश की मगर हर बार वो शिल्पा से अपने दिल की बात नही बोल पाता था। उस दिन शिल्पा के भाई की शादी के दिन ही अनिल बहुत खुश था वो शिल्पा से अपने प्यार का इज़हार करना चाहता था। अनिल के दोस्त को उसी दिन किसी दुसरे शहर किसी काम से जाना था इसीलिए अनिल को उस घर की चाब्बियाँ दे दी ताकि वो वहां शिल्पा से अपने दिल की बात कह सके। इसके आगे अनिल के दोस्त को कुछ नही पता था की उस दिन क्या हुआ। कैसे अनिल की मौत हुई। और कैसे शिल्पा की यह हालत।
फिर इंस्पेक्टर ने बताया की शिल्पा की medical reports से पता चला है की शिल्पा के साथ बलात्कार (Rape) हुआ है। घर में जैसे सब जगह मातम सा ही छा गया हो। माँ को मामा और मामी ने संभाला और क्षितिज को सीमा को ने। इंस्पेक्टर के जाने के बाद भी घर का माहौल ख़राब हो चुका था। सब गुमसुम से हो गए थे। किसी से भी रात का खाना नही खाया गया। सीमा को भी समझ नही आ रहा था की आखिर हो क्या रहा है पहले ही उसकी शादी के दिन शिल्पा के इस तरह खो जाने से उसके मन में कैसे कैसे ख्याल आ रहे थे। सीमा को डर लगा हुआ था की कहीं कोई उसे ही कुछ बुरा न कह दे। आखिर उसके इस घर में कदम रखने से पहले ही इस घर के साथ इतना बुरा हो गया था। और घर के इस खामोश माहौल में तो वो और सहम सी गई थी। शिल्पा के साथ ऐसा कैसे हो सकता है वो तो बहुत ही हिम्मत वाली लड़की है। शिल्पा की मर्ज़ी के बिना शिल्पा को कोई छु भी नही सकता था फिर यह सब...शिल्पा ने अनिल के बारे में सीमा को बताया तो था। अनिल उसका सिर्फ़ एक दोस्त ही था और कुछ भी नही। फिर कैसे अनिल ने उसके साथ ज़बरदस्ती की। शिल्पा को कुछ पिलाया होगा। मगर फिर अनिल की मौत कैसे हुई। इतना कुछ सोचते सोचते सीमा अपने कमरे में आ गई।
वहां उसकी नज़र क्षितिज पे पड़ी जो चुपचाप कमरे के एक कोने में बैठा रो रहा था। उसके हाथो में एक फोटो एल्बम थी। सीमा क्षितिज के पास गबराए मन से गयी। उसने क्षितिज के कंधो पे अपना हाथ रखा तो क्षितिज फुट फुट के रोने लगा।
क्षितिज: "हमारी शिल्पा सीमा .....हमारी बच्ची... अभी तक उसने देखा ही क्या है... हमेशा बच्चो की तरह कोमल फूल की तरह पाला है उसे अब उसे इस तरह तडपता हुआ रोता भिल्खते हुए कैसे देख पाउँगा मैं।"
सीमा ने क्षितिज के सर को अपने कंधो पे रख कर प्यार से सहलाया। फिर बोली: "जानती हूँ मैं जानती हूँ क्षितिज वो मेरे लिए भी बच्ची की तरह ही है। मगर हमें माँ की तरफ भी देखना है क्षितिज। अभी तो मामा और मामी जी है उन्हें सँभालने के लिए। लेकिन एक बार उनके जाने के बाद हमको ही माँ और शिल्पा दोनों को संभालना है। मैं खुद....."
कहते कहते रुक गयी सीमा ...क्षितिज ने उसकी आँखों में डर देख लिया था। उसने सीमा को अपनी बाँहों में भर लिया...फिर बोला..."हाँ जानता हूँ हमें ही अब सब हमें ही संभालना है मगर कैसे संभालना है ये सोच सोच कर....."
सीमा: "मैं समझ सकती हूँ की शिल्पा इस वक़्त क्या सोच रही होगी। उसपे क्या बीत रही होगी।" कहते ही सीमा रोने लगी। क्षितिज ने उसे संभाला...मगर क्षितिज को क्या पता था की उसे एक और कड़वा सच सुनना है....सीमा रो रो के बोलती चली गयी...क्षितिज से कुछ नहीं छिपाया उसने। (सीमा की कहानी पढिये >>>"निम्मो बुआ")
क्षितिज: "तुमने मुझे पहले ये सब क्यूँ नहीं बताया...." फिर थोडी देर बाद सोच कर खुद बोला "शायद में समझ नहीं पाता यह सब लेकिन अब अच्छे से समझ रहा हूँ। क्यूँ ऐसा होता है क्यूँ समाज हमेशा लड़कियों को ही दोषी ठहराता है। क्यूँ लड़कियों को इन बातों के लिए शर्मिदा किया जाता है। क्यूँ उनके आत्मविश्वास आत्मसमान को बार बार यूँ गिरा दिया जाता है। लड़के सब कुछ गलत करके भी साफ़ शरीफ होने का दावा करते है। और लड़कियां शरीफ हो कर भी जिल्लत की ज़िन्दगी जीती है। यह कैसा समाज है"
सीमा: "क्षितिज शायद मैं तुमको यह सब कभी नहीं बता पाती या फिर कभी न कभी तुमको बता देती। पर आज मुझे लगा की उस वक़्त जो मेरे साथ हुआ आज वो मुझे शिल्पा को समझने में और उसका पूरा साथ देने में मेरी मदद कर सकता है। मैं आज उसे वही आत्मविश्वास और आत्मसमान के साथ जीना सिखा सकती हूँ जिस पर उसका पूरा हक है। हम शिल्पा को कभी यह एहसास नहीं होने देंगे की उसकी ज़िन्दगी बर्बाद हो चुकी है पूरी दुनिया समाज कुछ भी कहे.....हमें पता है वो किस दौर से गुज़र रही है कोई उसे अपनाए या न अपनाए हम लोग उसे हमेशा उसके साथ रहेंगे। उसे पूरी हिम्मत देंगे इस समाज में रहने की" दोनों रात भर इसी तरह रोते रहे। एक दुसरे को सहारा देते रहे।
अगले दिन दोनों शिल्पा को लेने के लिए हॉस्पिटल गए। वहां इंस्पेक्टर पहले से ही मौजूद था।
इंस्पेक्टर: "मुझे शिल्पा जी का बयान लेना है। अनिल के दोस्त ने जो बताया है वो काफी नहीं है। हमें शिल्पा जी से भी उनकी आप बीती पूछनी होगी। मैं चाहता था की शिल्पा का बयान उसके घरवालो के सामने ही लिया जाए ताकि बाद में बयान को बदलने के लिए आप उसपे दबाब न डाले..आप लोग भी उसके दिए बयान पर अपने हस्ताक्षर करेंगे इसलिए मैं आपका इंतज़ार कर रहा था। देखिये मैं आपको बता दूं की शिल्पा जी कुछ दिनों तक नारी सशक्तिकरण संस्थान में कुछ दिन जाना पड़ेगा और मैं उम्मीद करता हूँ आप उसे पूरा सहियोग देंगे।"
सीमा: "आप चिंता ना करे इंस्पेक्टर साहेब हम लोग शिल्पा को पूरा support देंगे। उसे उसकी ज़िन्दगी वापस शुरू करने के लिए पूरा सहियोग"
इंस्पेक्टर: "सब यही कहते है मैडम...मगर फिर धीरे धीरे उनके घर वाले ही उन्हें mental torture करते है। वो कहते है ना कहना असान होता है करना मुश्किल ....और अगर कोई परिवार अपनों को ऐसे में सहियोग दे भी तो यह समाज उनके हाथ बांध देता है और उनका दिमाग भी समाज की सोच के साथ हो जाता है। और वो भी वही करते है जो समाज उनसे करवाना चाहता है।"
क्षितिज: "ये आप क्या कह रहे है इंस्पेक्टर...हम लोग पढ़े लिखे अच्छे घर से है। हमें अच्छी तरह पता है की क्या सही है क्या गलत। हम समाज के साथ अपनी सोच नहीं बदलेंगे। हम बिलकुल शिल्पा का साथ देंगे "
इंस्पेक्टर: "जी हाँ मैं जानता हूँ समाज आप जैसे पढ़े लिखे लोगो की सोच को किस तरह बदल देता है...क्षितिज साहब मत भूलिए इस देश में आज भी पढ़े लिखे लोग भी दहेज जैसी सामाजिक कुरीतियों को समाज से नहीं निकल पायी है..बल्कि आप जैसे पढ़े लिखे लोग भी समय आने पर खुद समाज जैसे हो जाते है।"
"आप लोग patient से मिल सकते है" नर्स की इस आवाज़ से क्षितिज और इंस्पेक्टर की बहस ख़त्म हो गयी।
तीनो शिल्पा के कमरे की और चल दिए....कमरे के बाहर से ही शिल्पा को देखा तो शिल्पा की हालत बहुत ख़राब थी उसके बदन में जहाँ तहां पट्टियां, चोट और खरोचें लगी हुई थी। न क्षितिज और न ही सीमा उसे अच्छे से देख पा रहे थे दोनों ने अपनी ऑंखें बंद कर ली और रोने लगे। इंस्पेक्टर बोला "इसकी हालत इस से भी ज्यादा ख़राब थी। आज फिर भी वो बोल पाएगी ऐसा डॉक्टर का कहना है। चलिए अंदर चलते है.."
सीमा को तो लगा जैसे उसकी वो मसककली उसकी वो कबूतरी जो हमेशा मस्त गगन में खुली हवा में उड़ती रहती थी। हर वक़्त वही करती थी जो उसका मन करता था....यही चुलबुली लड़की....वो मसककली.....आज इस तरह लाचार गुमसुम खोयी खोयी जैसे किसी ने उसे एक कमरे में बंद कर दिया हो। उसे किसी डरवाने पिंजरे में रख दिया हो जैसे उसके पर किसी ने काट ही दिए हो....यकीन ही नहीं हो रहा था की यह वही मसककली है....क्या अब यह मसककली कभी पहले की तरह खुली हवा में मन चाहे गगन में उड़ पायेगी...क्या सीमा सच में शिल्पा को वो आत्मविश्वास और उसका खोया आत्मसमान फिर उसे लौटा पायेगी। सीमा को जैसे हर जगह बस प्रशन चिन्ह ही दिख रहा था।
to be continue....
Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.