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Friday, April 17, 2009

मसककली (part 5)

शिल्पा ने जो बताया उसे सुन कर सभी दंग रह गए थे। अपने भइया की शादी के दिन शिल्पा ने अपने सभी दोस्तों को बुलाया था। अनिल को भी उसने निमंत्रित किया था। अनिल बार बार उसे फ़ोन कर के बोल रहा था की वो थोडी देर में पहुँच ही रहा है। शादी की सभी रस्में, रीती-रिवाज़ ख़त्म होते चले गए। शिल्पा भी शादी के हो हल्ला में अनिल को भूल गई। पर विदाई के समय उसे अनिल का ना आना याद आया। उसे अनिल पे बहुत गुस्सा आया। उसने अनिल को फ़ोन किया तो अनिल ने बताया की उसका एक दोस्त का accident हो गया है इसलिए वो आ नही पाया। मगर वो अभी शिल्पा से मिलना चाहता है। उसने कहा उसे थोड़े पैसो की भी ज़रूरत है उसके दोस्त के इलाज़ के लिए। शिल्पा ने एक दोस्त की मदद करने के इरादे से उसे बोला वो उस से आ कर पैसे ले जाए। पूरे तो नही पर जितने उसके पास है वो सारे अनिल को दे देगी। अनिल ने कहा की वो इतनी दूर अपने दोस्त को छोड़ कर नही आ सकता। शिल्पा को ही आना पड़ेगा। अनिल ने उसे अपने दोस्त के घर के पास ही बुलाया। शिल्पा ने फटाफट पैसे लिए और अपनी एक दोस्त को बताया की वो थोडी देर में वापस आ जायेगी अगर कोई पूछे तो बता देना।

ऑटो कर शिल्पा बताई जगह पर पहुँच के अनिल का इंतज़ार करने लगी। अनिल को फ़ोन करके बता दिया वो पहुँच गई है। अनिल ने थोडी देर बाद फ़ोन करके उसे बोला की वो वहां आ नही पायेगा क्यूंकि बाकी लोग जिन्होंने उसे पैसे देने है वो लोग उसके दोस्त के घर उसे पैसे देने आयेंगे। अनिल ने शिल्पा को भी वहीँ आने को कहा। शिल्पा ने फिर ऑटो लिया और बताये घर पे पहुँच गई। पर वहां उस घर में अनिल के इलावा कोई नही था। अनिल के मुह से शिल्पा को शराब की बू आई तो उसने अनिल से पुछा। अनिल ने बताया उसका दोस्त सहर छोड़ कर कहीं जा रहा था तो उसने पार्टी दी थी वही थोडी बहुत अनिल ने पी ली। मगर वही दोस्त थोडी दूर ही निकला था की उसका accident हो गया।

उसने शिल्पा को बैठने को कहा। मगर शिल्पा ने मना कर दिया। अनिल ने शिल्पा को शुक्रिया कहा और कहा की आज उसे पता चल गया की शिल्पा उसे अपना साचा दोस्त मानती है। तब तक अनिल का व्यव्हार शिल्पा को ठीक लगा। पर फिर अचानक अनिल ने उसे बताया की वो उसे पसंद करता है। वो शिल्पा को अपना बनाना चाहता है। वो उसे प्यार करता है। शिल्पा को पहले कुछ देर तक तो कुछ समझ नही आया। पर फिर उसने अनिल को बताया की उसकी ज़िन्दगी में अभी इन सभी के लिए टाइम नही है। वो अपने पापा का सपना पूरा करना चाहती है। उसे मन लगा के पढ़ना है और खूब मह्न्नत कर अच्छे नम्बरों से डॉक्टर की डिग्री ले कर डॉक्टर बनना है। शिल्पा ने उसे मना कर दिया था।

अनिल थोड़ा सा दुखी तो था। पर थोडी ही देर में वो ठीक हो गया था। और बोला "ठीक है मगर मैं तुम्हे हमेशा प्यार करता रहूँगा। बस ये याद रखना तुम्हे पाने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ। मेरे दोस्त तो मुझे तुम्हारा दीवाना भी कहते है।"

शिल्पा को समझ नही आया की वो क्या कहे। शिल्पा अनिल को सिर्फ़ अपना दोस्त ही मानती थी। अनिल अच्छा लड़का था। मगर शिल्पा अभी इस समय प्यार के बारे में सोचना नही चाहती थी। उसने सोचा की क्या पता आगे आने वाले वक्त में कभी उसे अनिल से प्यार हो जाए। पता नही शायद...मगर अभी वो अनिल के बारें में ऐसा कुछ नही सोचती थी।

"चलो तुम्हे कहीं रस्ते में छोड़ देता हूँ मैं भी हॉस्पिटल जाना रहा हूँ दोस्त को देखने।" अनिल के बोलने पर शिल्पा उसके साथ चलने के लिए तयार हो गई। अनिल ने बताया की उसने एक कार किराये पे ली हुई है। शिल्पा जैसे ही बाहर जाने के लिए मुडी। अनिल ने झट से उसके आगे आ कर घर का दरवाजा ज़ोर से बंद कर दिया। शिल्पा को कुछ समझ नही आ रहा था की अनिल ने ऐसा क्यूँ किया। अनिल ने उस पर झट से हमला कर दिया। उसने शिल्पा को ज़ोर से पकड़ते हुए कहा "शिल्पा तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती हो....क्या मैं तुम्हे पसंद नही .... पसंद नही तो क्यों तुम मेरे एक बार बुलाने पे अपने भइया की शादी छोड़ कर यहाँ चली आई। क्यूँ तुम मेरे साथ घूमती थी फिरती थी। बात किया करती थी। मैंने आज तक किसी लड़की से तरह बात नही की जिस तरह से मैं तुमसे बात करता था। तुम भी तो मुझसे इतने अच्छे से सभी बातें कर लेती हो। मेरे सभी दोस्त मुझे बोलते है की तुम भी मुझे पसंद करती हो। मुझसे प्यार करती हो। मैंने देखा है शिल्पा दुनिया की सभी लड़कियां एक सी ही होती है। वो लड़को के दिल के साथ खेलती है। पहले तो उनके साथ घूमती फिरती है हँस-हँस के बातें करती हो उसकी पसंद-नापसंद का ख्याल रखती हो....फिर जब उस लड़के को उस लड़की से प्यार हो जाता है और वो अपने घुटने टेक देता है॥प्यार का इज़हार करता है तो तुम लड़कियां बड़ी आसानी से बोल देती हो की यह सब दोस्ती है। प्यार व्यार नही.....बेचारा लड़का खड़े खड़े अपनी दिल को टूटते देखता रहता है....अपनी दुनिया में ही घुटता रहता है...."

अनिल शिल्पा को बोलने का मौका ही नही दे रहा था..बस बोले जाना रहा था...और उसकी तरफ़ बढता जाना रहा था। "मैंने नही सोचा था तुम भी बाकी सारी लड़कियों की तरह निकलोगी। सभी लड़कियां मुझसे बात करने से कतराती थी। उनको मेरी बातें boring लगती थी। पर तुम ही थी जो मुझे समझती थी। इसलिए मैंने तुम्हे अपने दोस्त के एक्सीडेंट का झूठा बहाना बना कर तुम्हे यहाँ बुलाया। ताकि मैं तुम्हे अपने प्यार के बारे में बता सकूं। मुझे लगा तुम मुझे मेरे प्यार को समझोगी। पर तुम भी यह दोस्ती का झूठा राग अलापने लगी। मैं तुम्हे ऐसे नही जाने दूंगा...तुम्हे मैं प्यार करता हूँ और तुम्हे भी मुझी से प्यार करना होगा। तुम मेरी नही हुई तो तुम किसी और की भी नही हो पाओगी। आज मैं तुम्हे इतना प्यार करूँगा की तुम्हे भी मुझसे प्यार हो जाएगा।"

अनिल की आखों में एक अजीब सा वेशिपन देख लिया था शिल्पा ने। शिल्पा यहाँ वहां बचने के लिए जगह ढूँढने लगी। उसे अंदर एक कमरा खुला मिला वो वहीँ चली गई....अनिल भी उसकी और लपका। और अंदर जाते ही शिल्पा दरवाजा बंद करने लगी। मगर अनिल भी दूसरी तरफ़ दरवाजा अपनी और खीचने लगा। बहुत देर तक दोनों इसी तरह दरवाजे की साथ अपनी ज़ोर अज्मायिश करते रहे। फिर अनिल ने ज़ोर से दरवाजा झटके से खोल दिया....और अंदर आते ही उसने उस दरवाजे को भी बंद कर दिया। अब शिल्पा और डर गई थी।

"अनिल मुझे जाने दो ..मुझे छोड़ दो...मैं तुम्हारी अच्छी दोस्त हूँ....तुम ऐसा नही कर सकते....तुम्हे शराब चढ़ गई है...." शिल्पा जानती थी की इस तरह अनिल के सामने बिलखने का भी कोई फायदा नही फिर भी वो बिना रुके बोली जा रही थी। और कमरे में यहाँ वहां देख रही थी की कहीं से जाने का बचने का रास्ता उसे मिल जाए..


कोई और जगह, कोई और रास्ता नही दिखाई देने पर शिल्पा ने सोच लिया की उसे क्या करना है.....और उसने वैसा ही किया...जैसे ही अनिल शिल्पा के करीब आया शिल्पा ने उसे ज़ोर दार धक्का दे दिया। अनिल नीचे लडखडा के गिर गया। अनिल के गिरते ही शिल्पा कमरे के उसी दरवाजे की और लपकी। दरवाज़े को खोल कर जैसे ही वो बाहर वाले कमरे में जाने लगी..अनिल ने उसे पकड़ लिया। शिल्पा भी अब नीचे गिर चुकी थी। गिरते ही शिल्पा के कंधे और घुटनों पे दरवाजा और उसकी चोखट ज़ोर से लगी.....नीचे गिरी शिल्पा को अनिल ने फिर दायें पैर को पकड़ कर अंदर की ओर खींच लिया...शिल्पा फिर वही उसी कमरे में आ चुकी थी। अनिल उसके उपर आ चुका था। मगर फिर भी शिल्पा ने हार नही मानी उसने अनिल के दोनों पैरो के बीच ज़ोर दार लात दे मारी। अनिल ज़ोर से चिला पडा...उसने दोनों हाथ दोनों पैरो के बीच रख लिए....और कहराने लगा...

शिल्पा को एक और मौका मिला वहां से भाग निकलने का...वो उठने की कोशिश करने लगी। वो बाहर वाले कमरे में पहुँची और घर से बाहर जाने वाला दरवाजा खोलने लगी....मगर कंधे की चोट उसे तंग कर रही थी। अचानक पीछे से अनिल ने उसे उसके पैरो से उठा लिया और अपने कंधो में रख कर उसे घर के बिस्तर पर पटक दिया। अनिल के चहरे पे गुस्सा और बोख्लाहत के साथ साथ उसकी हवस से भूख भरी नज़रे साफ़ दिखाई दे रही थी.....

अब शिल्पा के बहुत कोशिश करने पर भी शिल्पा अनिल को अपने उपर से हटा नही पा रही थी....

और अनिल अपने मंसूबो में कामयाब हो गया....और शिल्पा को उसी कमरे में बंद कर के चला गया....

अगले दिन शाम को वो फिर आया उसने शिल्पा से उस रात हुए हादसे के लिए माफ़ी मांगी और उसका फ़ैसला पुछा....शिल्पा ने अनिल से कोई बात नही की... वैसे भी जब से शिल्पा ने रो रो कर अपना बुरा हाल कर ही लिया था...अनिल ने उस से कहा की अगर वो अभी भी अनिल के प्यार को अपना ले तो अनिल उसकी गलती माफ़ कर देगा। और फिर वो खुशी खुशी इसी प्यार के बंधन में रहेंगे हमेशा.....


दो दिन तक अनिल इसी तरह शिल्पा के पास आ कर उसे अपने प्यार की दुहाही देता। फिर तीसरे दिन वो फिर शराब पी कर आया....और वही बातें दोहराने लगा......उसने शिल्पा को बताया की शिल्पा के घर वाले उसकी तलाश कर रहे है..अनिल के घर भी पुलिस पुछ्ताश के लिए आई थी.....

शिल्पा एक बार फिर वहां से निकले के लिए एक और कोशिश की....उसने अनिल से कहा की वो अनिल की हर कही बात मानने को तैयार है। पहले तो अनिल उसकी बातों में आ गया...मगर फिर उसने शिल्पा की चाल समझ ली और बोला..."नही तुम मुझे फिर से पागल बना रही हो तुम बाहर जाते ही पुलिस को सब सच बता दोगी....मैं तुम्हे इस तरह नही छोड़ सकता।"

फिर तो जैसे अनिल को वही दीवानेपन का असर हो गया हो...उसने शिल्पा को पुरी तरह से बाँध दिया....चादर, रसियाँ और तार अनिल को जो भी बाँधने की चीज़ मिली ....उसने उस से शिल्पा के हाथ, पैर और मुह सभी कुछ बाँध दिया... और बाँधते बाँधते बस बोले जा रहा था..."तुम यहाँ से कहीं नही जाओगी..तुम्हे मुझसे कोई अलग नही कर सकता...तुम सिर्फ़ मेरी हो....देखता हूँ कौन कैसे तुम्हे यहाँ से ले जाता है।" शिल्पा ने सोच लिया की वो अब यहाँ से नही निकल पायेगी...

फिर शाम को अनिल ने टेलिविज़न में कुछ कुछ खबरे सुनी...शिल्पा को भी कुछ कुछ सुनाई दे रहा था...शायद वहां उसी की ख़बर आ रही थी....नाम बदला हुआ था...फिर भी शिल्पा समझ गई थी की यह उसी की ख़बर है क्यूंकि ख़बर एक ऐसी लड़की के गुमशुदा होने की थी जो अपने भाई की शादी से गायब हो गई थी...फिर शिल्पा ने टेलिविज़न के टूटने की आवाज़ सुनी..और बाहर के दरवाजे के बंद होने की आवाज़ उसके बाद उसे ख़ुद नही पता की क्या हुआ...शायद एक दिन तक वो इसी तरह पड़ी रही और फिर बेहोश हो गई और उसे होश इस हॉस्पिटल में आया...


to be continue....
Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.






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