करीब 2 बजे रोज़ जिया और अनमोल रोशन के बुलाये गए स्थान पर पहुँच जाते थे। अनमोल आगे आगे और जिया पीछे पीछे अब अनमोल से से जिया को कोई भी दिक्कत महसूस नही होती थी। वो अनमोल को अपने अच्छे दोस्तों में देखने लगी थी। उस पर विश्वास करने लगी थी। क्योंकि कहीं न कहीं जिया को भी लगता था कि वो भी एक सीधे-साधे छोटे शहर से था इसीलिए वो जिया को अच्छे से समझने लगा था। और जिया भी उसे समझने लगी थी। मगर अब भी जिया रोशन को देखती तो देखती रह जाती थी... हालाकि रोशन से उसकी कुछ खास बात नही होती थी क्योंकि रोशन उस से ज्यादा बात ही नही करता था। नाटक एक बहुत ही हास्य विषय पर था। पति पत्नी को बीच होने वाली नोकझोक में कैसे नौकर लोग मज़े लेते है यह नाटक में हास्य रस के साथ अच्छे से दर्शाया गया था। जिया और अनमोल बहुत अच्छे से अपना अपना पात्र प्रस्तुत कर रहे थे।
फिर जब नाटक का दिन आया। जिया को मंच पे सबके सामने आने में हल्का सा डर महसूस हो रहा था। अनमोल को बताना चाहती थी पर वो भी उसके करीब नही था। वो मंच के पीछे तैयार खड़ी थी तभी उसे रोशन दिखा। उसने उसे पुकारा और अपनी परेशानी बताने कि कोशिश की "वो रोशन....ह्म्म्म्म....यूँ सबके सामने....पता नही ठीक से.....ह्म्म्म...वो क्या है न...पहले कभी..."
"तुम फ़िक्र न करो सब ठीक होगा। तुम लोग बहुत अच्छा कर रहे हो। और फिर यहाँ कोई और है भी तो नही बस हम विद्यार्थी लोग ही हैं इनसे क्या डरना।" रोशन बहुत अच्छे से जिया को समझा रहा था। मगर जिया भी कहाँ उसे ठीक से सुन पा रही थी..उसे तो रोशन को एक नज़र भर देखना ही था। खैर यह पहली बार था जब जिया को रोशन अकेले में मिला था और बहुत सी बातें कर रहा था।
फिर कुछ ही महीनो बाद रोशन से उसकी दोस्ती पक्की हो गई थी। अब्ब रोशन और जिया अच्छे से खुल के बातें करते थे। रोशन को जैसा जिया ने सोचा था वो उसके बिल्कुल उलट था। बहुत खुलके और हसी मजाक करने वाला। सबको उसका व्यवहार पसंद था। जिया भी अब रोशन जो चाहे वो कह सकती थी। अब वो उसे देखती ही नही रहती थी बल्कि उसकी बातिएँ भी अच्छे से सुनती और अपनी बातें उसे सुनाती थी। रोशन के सामने वो अनमोल, दीपक, रहमान, महक और टीना सबको भूल जाती थी। जिया क्लास में इन सबके साथ होती थी मगर क्लास के बाद रोशन का साथ ही उसे भाता था। रोशन जहाँ कहता वो उसके साथ चल देती थी। रोशन को वो शिल्पा से भी मिलवा चुकी थी जब एक बार रोशन उसे हॉस्टल तक छोड़ने आया था। शिल्पा को भी रोशन ने अपना दीवाना बना दिया था। जिया और रोशन अक्सर कॉलेज के बहार भी मिलने लगे थे और अब कॉलेज में तो सब उसकी और रोशन की बातें भी करने लगे थे। इसी तरह दिन बीतने लगे।
कॉलेज का एक सत्र ख़त्म होने को था। परीक्षाएं सर पर थी अनमोल और जिया अब पडी पे ध्यान देने लगे। ज्यादा से ज्यादा समय लाइब्रेरी में बीतने लगा था उनका। क्लास नोट्स और किताबें एक दुसरे से share करते थे।
एक दिन अनमोल लाइब्रेरी में आते ही जिया से बोला "रोशन तुमको कैंटीन के पास बुला रहा ही उसे कुछ ज़रूरी काम ही शायद। " जिया बोली "अभी नही ...अभी यह भाग पड़ लूँ फिर जाती हूँ।" अनमोल उसके सामने से किताब अपनी ओर सरकाते हुए बोला "नही फिर नही अभी जाओ। मैं यह भाग पूरा पढ़ कर तुमको कल बता दूंगा अच्छे से अभी तो तुम रोशन की बात सुन लो ध्यान से।"
जिया को यह सब अजीब लगा था। पर फिर भी वो उठी और कैंटीन की ओर चल दी। जैसे ही वो कैंटीन के दरवाजे के पास पहुँची उसे किसी के गाने की आवाज़ सुने दी। "तुम बिन जाऊं कहाँ....तुम बिन जाऊं कहाँ..." जिया ने अंदर जाते ही देखा की यह कोई और नही रोशन ही गा रहा था। जिया को कुछ समझ नही आ रहा था। जिया को देख रोशन और जोरो से गाने लगा। जिया का हाथ थाम कर उसके साथ नाचने लगा। जिया भी खुश होने लगी। फिर गाना ख़त्म होते ही रोशन अपने घुटनों के बल बैठा और एक हाथ जिया की और बड़ा कर उसने कहा.."जिया मुझे नही पता क्यों पर जबसे तुम पढ़ाई की वजह से मुझसे कम मिलने लगी हो मैं तुमको हर पल याद करता हूँ। मुझे पता नही क्या हो गया ही एक एक दिन तुम्हारे साथ बिताया हुआ हर एक पल मुझे याद आता है। मैं ख़ुद पढ़ाई की ओर ध्यान नही दे पा रहा हूँ। रह रह के दिल में यही बात आ रही थी की आज तुमसे कह ही दूँ। शायद तभी मैं पढ़ाई पे पुरा ध्यान दे सकूँ...सोचा था यह बात मैं तुमको कुछ बनके कोई job के ढूँढने के बाद बोलूँगा पर अब रहा नही जाता...इसलिए अच्छा है मैं आज ही बोल दूँ...की.....की....I LOVE YOU......मुझे पता है इस तरह प्यार का इज़हार करना बहुत अजीब लग रहाहोगा तुम्हे..मुझे भी लग रहा है बस अब तुम भी बोल दो की ...YOU LOVE ME TOO.."
to be continue....
Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.
4 comments:
स्वागत है आपका
कलम से जोड्कर भाव अपने
ये कौनसा समंदर बनाया है
बूंद-बूंद की अभिव्यक्ति ने
सुंदर रचना संसार बनाया है
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
acchi yadon ko samete ho....
๑۩۞۩๑वंदना शब्दों की ๑۩۞۩๑
बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
टेम्पलेट अच्छा चुना है
कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
http://www.ucohindi.co.nr
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