पर डरती हूँ कहीं वो टूट न जाए,
इंतज़ार में हूँ एक हमसफ़र के साथ का
पर डरती हूँ कहीं साथ छूट न जाए॥
अंधेरों में बैठी हूँ रौशनी की आस लिए
कोई सूरज बन कर आए अँधेरा दूर भगाए,
अंधेरों की तो आदत हो गयी है हमे
पर डरती हूँ कहीं फिर वो सूरज डूब न जाए॥
तरसती आँखों ने थे देखे हजारो सपने.......
किनारे पे खड़ी साहिल को निहारती हूँ
कि काश कोई मुझे उस पार ले जाए,
साथ मेरे माझी भी है और नाव भी
पर डरती हूँ बीच भँवर डूब ना जाए॥
तरसती आँखों ने थे देखे हजारो सपने.......
रूठी है किस्मत रूठा है सारा जहाँ
हम है जिसके सहारे न जाने वो है कहाँ,
जाना चाहती हूँ उसके पास हमेशा के लिए
पर डरती हूँ कहीं वो भी रूठ न जाए॥
तरसती आँखों ने थे देखे हजारो सपने.......
हजारों सपने करोड़ों ख्वायिशें
अनगिनत अरमानो और प्यार का खजाना,
कितना है संजोया रखा छिपा कर सालो से
पर डरती हूँ कहीं यह खजाना लूट न जाए॥
तरसती आँखों ने थे देखे हजारो सपने
पर डरती हूँ कहीं वो टूट न जाए,
इंतज़ार में हूँ एक हमसफ़र के साथ का
पर डरती हूँ कहीं साथ छूट न जाए॥
9 comments:
इस उम्र मे इतना डर इतनी निराशा सही नहीं। जीवन तो साहस से जीया जाता है। मगर रचना बहुत अच्छी लिखी। आशीर्वाद्
खूबसूरत पोस्ट
सुन्दर रचना .. नैराश्य भाव की
@निर्मला कपिला
धन्यवाद निर्मला कपिला जी ..... हाँ थोडा सी निराश वाली कविता है। मेरी और भी रचनायें है । उन्हें एक नज़र देखे उम्मीद है आपको अच्छी लगे......कमेन्ट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...
@Jandunia
@M VERMA
कमेन्ट के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...
मेरी और रचनायें एक नज़र देखे उम्मीद है आपको अच्छी लगे.....
thanks simran for reading it again.... :)
Very good poetry :) A real picture of a excited mind :D Great
wah...maza aa gaya ...aapki poem padh ke mera dil khush ho jaata hai :-)
mind blowingggg.............hope u will participate in the canara hindi fest competition.....m sure ,,there will be only one winner
It is really heart touching poem. I shared this poem in Car towing service page. It is my face book page. Your Hindi is good and i really like.
Post a Comment