तुम अगर जिंदगानी का सफर न देते तो कहाँ जाता इंसान.
तुम अगर विश्वास की किरण न देते तो राह में खो जाता इंसान.
तुम अगर रिश्तेदारो से हमसफ़र न देते तो अकेला रह जाता इंसान.
तुम अगर मौत जैसी मंजिल न देते तो पहले ही थक जाता इंसान.
तुम अगर मुश्किल भरे दिन न देते तो तुम को भूल जाता इंसान.
तुम अगर खुशियों भरे उत्सव न देते तो जीवन के सारे तत्व भूल जाता इंसान.
तुम अगर साहस न देते तो इतनी ताकत कहाँ से लाता इंसान.
तुम अगर मन न देते तो प्यार की चाहत कहाँ से लाता इंसान.
तुम अगर हरा भरा जहाँ न देते तो कबका विलुप्त हो जाता इंसान.
तुम अगर दिमाग न देते तो जानवर ही रह जाता इंसान.
तुम अगर गीता कुरान जैसे ग्रन्थ न देते तो बहक जाता इंसान.
तुम अगर इतने अवतार न लेते तो जीवन का सार कैसे जान पाता यह इंसान।
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