सीमा फ़ोन रख कर रसोई में काम करने चली गई..मगर दिमाग अभी भी वही अटका हुआ था..क्षितिज कब रसोई में आया उसे पता ही नही चला..क्षितिज बोला "क्या बात है. पापा क्या बोल रहे थे.....निम्मो बुआ जी कब आएँगी सुबह सुबह या शाम को"....क्षितिज की आवाज़ से सीमा चौक गई.."हाँ सुबह सुबह ही 11-11:30 बजे शायद"..सीमा ने जवाब दिया..।
रसोई का काम ख़त्म कर जब सीमा अपने कमरे में पहुची तो पीयूष सो चुका था...और पीहू को भी क्षितिज सुलाने की कोशिश कर रहा था....क्षितिज पीयूष को माँ के पास छोड़ कर आया और इधर पीहू को सीमा ने सुला दिया....
"क्या बात है॥तुम निम्मो बुआ जी के आने की बात से परेशान हो..वो बस invitation ही तो देने आ रही है" क्षितिज ने पुछा। सीमा बोली "मगर क्षितिज वो...निम्मो बुआ जी..यहाँ क्यूँ आ रही है..पापा के घर invitation दे दिया तो यहाँ क्यूँ..तुम तो जानते हो निम्मो बुआ जी के सामने में बिल्कुल अजीब सा behave करने लगती हूँ"...क्षितिज सीमा को समझाने लगा.."हाँ मैं जानता हूँ तुमको वो अच्छी नही लगती...तुम क्यूँ बार बार पुरानी बातें सोचती हो...invitation ले लेना..अब शादी में जाना ना जाना तुम पर है ना..."
क्षितिज थोडी देर तक सीमा को समझाता रहा॥फिर वो ऑफिस से थका हारा घर आया था..इसलिए सीमा ने सोने को कह दिया....क्षितिज ने उसे भी सोने को कहा....सीमा और क्षितिज दोनों लेट गए...क्षितिज थोडी देर में सो गया....मगर सीमा की आंखों में नींद कहाँ थी..बार बार पुरानी यादें जो उसका पीछा नही छोड़ रही थी...हर बार जब भी निम्मो बुआ या उनके घर से कोई भी ख़बर उसके पास आती थी तो सीमा को बार बार वो बातें याद आती थी जिनको वो चाह कर भी भूला नही पाती थी..और अब इस बार तो निम्मो बुआ ख़ुद उसके घर आ रही थी...
निम्मो बुआ बहुत ही शांत सवभाव की थी...सीमा के पापा के बाद वही घर की बड़ी थी..उनकी शादी किसी गाँव के घर हुई थी....उनको शादी के बाद एक गाँव में ले जाया गया मगर वहां बुआ को अच्छा नही लगता था...और सीमा के फूफाजी भी बड़े ही गुस्सेल मिजाज़ के थे....फिर वो बार बार माँ के घर आ जाती थी...सीमा की माँ ने उसे बताया था की उसकी बुआ कितने महीनो-महीनो तक रह रह कर जाती थी..हर बार वहां से लड़ कर आ जाती थी..फुफ्फाजी भी बड़े नाटक किया करते थे.... उनको ले जाने आते थे...पर यहाँ कर लड़कर चले जाते थे....और सीमा के पापा बुआ को फुफ्फाजी के साथ समझा भुजा कर भेज देते थे॥
फिर वो यही शहर में ही किराये का मकान ले कर रहने लगे..बुआ जी ने आस पास ही कोई छोटी सी नौकरी ढूंढ ली थी...फूफ्फा जी भी बैंक में काम करने लग गए थे...दोनों यहाँ शहर में अपनी गृहस्थी चला रहे थे.....मगर बीच बीच में उनके बीच कहा सुनी होती रहती थी...बुआ जी जितने शांत सवभाव की थी उतने ही फुफ्फाजी गुस्सेल थे...बुआ का अपने मायके में आना जाना चालू था.. सीमा की माँ ने उसे बताया था..बुआ अपने बच्चो को भी सीमा की माँ के पास छोड़ कर बहार काम करने जाती थी....बुआ जी के तीन बेटे थे...रमेश, राजेश और राकेश..रमेश सीमा की उमर का ही था..वो रमेश से 6 महीने ही बड़ी थी...फिर राजेश जो की 2 साल छोटा था....और फिर राकेश जो 4 साल छोटा था...वैसे सीमा के भी दो छोटे भाई थे... सूरज 1 साल छोटा..और नील 3 साल छोटा....सीमा एक joint family में बड़ी हुई थी...उसके चाचा चाची के बच्चे भी थे...सब मिल जुल कर खेला करते थे..खूब मज़े करते थे..सीमा तो सबकी लाडली थी...माँ , पापा, दादा और चाचा सब उसे सबसे जयादा प्यार करते थे...पापा की लाडली तो थी ही...निम्मो बुआ भी बहुत लाड करती थी..निम्मो बुआ को तो हमशा से एक बेटी चाहती थी..सीमा बड़ी थी इसलिए वो सब बच्चो का अच्छे से ख्याल रखती थी॥
सीमा की चाची सीमा की माँ से हमेशा छोटी छोटी बातों पर कलेश करती थी... इसलिए सीमा के पापा ने अलग घर ले कर रहने का फ़ैसला किया और सीमा अपने माँ, पापा और भाइयो के साथ अलग रहने लगी...अब निम्मो बुआ के घर छुट्टियों में ही जाना होता था...बुआ के घर बदलते रहते थे...बुआ उसको प्यार से रखती थी....रमेश तो उसका दोस्त जैसा था...और बाकी दोनों राजेश और राकेश वो अपने भाइयो जैसे ही प्यार करती थी....सब साथ में खेलते रहते थे...इसलिए सभी सीमा को नाम से बुलाते थे..बस फूफाजी से थोड़ा डर लगता था...तीनो बच्चे बहुत डरते थे फूफ्फा जी से...सीमा को तो ऐसे डरे डरे माहोल में रहने की आदत नही थी..वो तो बिल्कुल बिना डरे फुफ्फाजी के साथ भी बात कर लेती थी...फूफ्फा जी भी उस से प्यार से बात करते थे..क्योंकि वो उनके घर मेहमान थी और लड़की थी....वो सीमा की छोटी छोटी बातों को नज़र अंदाज़ कर देते थे..मगर अगर वही चीजे अगर उनके बच्चो ने की होती तो उनको खूब सुनाते थे...
सीमा यह सब सोच रही थी की तभी अचानक रसोई में से आवाज़ आई....सीमा अपनी पुरानी यादों से बाहर आई...और रसोई में देखने चली गई...वहां माँ fridge से पानी ले रही थी.."अरे बहु तुम अभी तक सोयी नही...पीहू तंग कर रही है क्या"..माँ ने सीमा को देख कर पुछा...सीमा बोली "नही माँ वो तो सो रही है...बस रसोई की आवाज़ सुन कर नींद टूट गई...." सीमा वापस अपने कमरे में आई तो देखा 1:30 बज चुका था....सीमा को सुबह जल्दी उठाना था...इसलिए वो फिर सोने की कोशिश करने लगी...
to be continue....
Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.
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