श्याम बहुत ही मेहनती और इमानदार था। उसके चर्चे आस-पास के गोवों तक फ़ैल गए थे। उसका एक मित्र था। वह आलसी और चालक था। वह दिनभर सोता रहता था और श्याम खेत में काम करता रहता था। फसल अच्छे से तयार हो गयी थी। श्याम ने अपने मित्र से कहा.."चलो, मेरे साथ फसल की कटाई का काम करो"। उसके मित्र ने कहा "भई! मैं फसल तो अकेला ही काट दूं पर मुझे बदले में मिलेगा क्या?" श्याम ने उसे आधी फसल देने का वचन दे दिया।
श्याम का मित्र श्याम के साथ खेत चल तो दिया पर वहां जाकर उसने कहा "मैं ज़रा थक गया हूँ। विश्राम कर लूं। तुम चाहो तो तुम भी मेरे साथ विश्राम कर सकते हो..बाद में हम दोनों मिल कर काम करेंगे।" श्याम ने उसे मना करते हुए कहा "नहीं मैं काम करूँगा..तुम थोडी देर आराम कर लो..फिर खेत में काम करने आ जाना।"
श्याम खेत की फसल काटने लगा.. उसका मित्र जमाई ले कर सो गया। शाम(संध्या) हो गयी..श्याम दिनभर काम करता रहा और उसका मित्र सोता रहा। दोनों मित्र घर लौट चले। फिर रात को सोते समय उसके मित्र ने वचन दिया की कल वह विश्राम नहीं करेगा और श्याम के साथ कटाई करेगा। श्याम उसका विश्वास कर के सो गया।
मगर उसे क्या पता था अगले दिन भी यही होना है...श्याम दिनभर काम करता रहा और उसका मित्र आराम करता रहा। फसल कट गयी..मगर अब वचन के अनुसार श्याम को आधी फसल अपने मित्र को देनी पड़ी॥
इसलिए यह ठीक कहा गया है की
"आलसी लोगो से मित्रत्ता नहीं करनी चाहिए"
THE END
Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.
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