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Sunday, December 14, 2008

जीवनसाथी (part 6) (last part)

अनमोल जल्दी जल्दी तैयार हो रहा था आज उसकी कॉलेज कि आखिरी परीक्षा जो थी। रोज़ जिया को शिल्पा के यहाँ से ले कर कॉलेज जाना उसे अच्छा लगता था। अनमोल ने जिया को जब पहली बार देखा था तब ही मानो उसे दिल दे दिया था। वो जिया को तभी से बहुत प्यार करने लगा था। वो जिया की जितनी इज्ज़त करता था उतना ही उस से प्यार भी करता था। कई बार उसने जिया को बताने की कोशिश भी की मगर कह नही पाया। रोशन को गए लगभग ढेड (1+1/2) साल हो चुका था फिर भी वो जिया से कुछ नही बोल पाया था। हर बार नए तरीके से बोलने की अच्छे से तयारी कर के जाता। पर जिया के सामने जाते ही सब भूल जाता। आज भी उसने जिया को बताने के लिए नए तरीके से तयारी की थी। उसका प्लान था की परीक्षा के बाद वो जिया को बाहर ले जाएगा और वहां सब बोल देगा।

परीक्षा ख़त्म होते ही अनमोल जिया से मिला और उसे काफ़ी के लिए पुछा। Cafe coffee day पहुच कर अनमोल ने जिया से पुछा "जिया परीक्षाएं ख़त्म हो गई है। तो तुम्हारा आगे क्या इरादा है।""ह्म्म्म.... सच कहू तो मैं समाज के लिए कुछ करना चाहती हूँ। तुम्हे तो याद होगा वो इच्छा नाम की वो लड़की जो हमारे कॉलेज में वर्कशॉप करने आई थी। जिनसे मैंने बात भी की थी। बस अब उन्ही के साथ जुड़ना चाहती हूँ। ....ओह !! मैं तो भूल ही गई। अनमोल मुझे जल्दी निकलना होगा। तुम मुझे जल्दी मेरे ऑफिस के पास जों गिफ्ट वाली शॉप है वहां छोड़ दोगे प्लीज़।"

अनमोल समझ नही पाया की जिया को इतनी जल्दी क्यों है। इसलिए उसने पूछ ही लिया "वहां क्या काम है। किसी के लिए गिफ्ट लेना है क्या।" "नही नही...वो अब तुमसे क्या छुपाऊँ....का मुझे रोशन का फ़ोन आया था। वो मुझसे मिलना चाहता था। और मैं तो कल ही इच्छा जी के सामाजिक कामो के लिए अलग अलग छोटे छोटे शहरों जाने के लिए निकल रही हूँ। फिर ना जाने कब वापस आऊं। आऊं भी की नही। तुम्हे तो पता है यह सामाजिक काम ऐसे ही होते है। हमें अलग अलग जगह जाकर अनपढ़ लड़कियों को शिक्षित करना है। उन्हें पढ़ा लिखा कर उनकी जिंदगियाँ बदलनी है। उन्हें बड़े शहरों जैसी सोच देनी है। और भी बहुत से काम है। मैं तो बहुत ही उत्साहित हूँ। मगर रोशन की जिद्द है मिलने की तो मैंने उसे वहां मिलने के लिए बुलाया है।" जिया ने अनमोल को बताया और उसे हाथो से पकड़ कर उसकी bike की ओर ले गई।

अनमोल के अरमानो को फिर से किसी की नज़र लग गई थी जैसे। उसे याद आ गया फिर वहीँ पल जब उसे पता चला था की रोशन जिया से और जिया रोशन से प्यार करती है। मगर उस समय वो प्यार नया नया था। वो लोग सिर्फ़ दोस्त ही बन पाये थे। मगर आज आज तो अनमोल को बहुत ही बुरा लग रहा था कि यह सब उसी के साथ क्यों। क्यों बार बार उसकी किस्मत उसे रुलाती है। जिया हर बार उसके इतने करीब आ के दूर हो जाती है।

अगले दिन जब अनमोल जिया से मिलने उसके घर गया तो उसे शिल्पा मिली। शिल्पा को ऑफिस के लिए देर हो रही थी। इसलिए उसने अनमोल को इतना ही बताया की जिया अब वहां नही रहती वो सुबह ही इच्छा के साथ चली गई थी। अनमोल को लगा अब उसके सभी सपने जैसे टूट से गए हो।

"क्यों जिया मैडम कहाँ ख्यालों में खोयी हुई हो।" जिया ने जैसे ही यह सुना उसे लगा की यह आवाज़ उसने कहीं सुनी हुई है। उसने अपनी पुरानी यादों से निकल कर पीछे देखा तो बाहें फैलाये शिल्पा खड़ी थी। हाँ आज शादी के इस पावन दिन में उसे पुराने दोस्तों की याद तो आ ही रही थी। मगर किसी का कुछ पता नही होने के कारण वो किसी को बुला ही नही सकी। शिल्पा को उसी पते पे शादी का कार्ड भेजा था। उम्मीद नही थी वो आएगी। जिया शिल्पा को देखते ही उस से लिपट गई। "शिल्पा...ओ ...शिल्पा...मुझे खुशी हुई तुम आई।"
"बहुत मुबारक हो। आज का दिन हर लड़की के लिए एक यादगार दिन होता है। तुम्हारी इस खुशी में मुझे तो शामिल होना ही था।" शिल्पा ने कहा। "इन पिछले 2 सालो में जबसे तुम गई हो तुम्हारी कोई ख़बर ही नही आई। कहाँ हो, कैसी हो, क्या कर रही हो। न कोई चिठ्ठी न कोई फ़ोन। हमको तो जैसे भूल ही गई थी तुम।" शिल्पा ने जैसे जिया से शिकायत सी की थी।

"नही ऐसी कोई बात नही है तुम लोगो को कैसे भूल सकती हूँ मैं। ख़ास कर तुम्हे और अनमोल को। तुम दोनों को इन सालो में बहुत याद किया। और आखिरी दिन जब तुमने मुझे बताया था की अनमोल ही मेरे लिए ठीक लड़का है वो दिन तो मेरे लिए जैसे बहुत मायने रखता है। उस दिन मैं समझ नही पायी थी की तुम क्या कहना चाहती थी। पर आज समझती हूँ। सच में अनमोल ही मेरे लिए सही लड़का था। हर बार मैं उसकी भावनाओं को समझ नही पाती थी। पर अब मुझे लगता है की मैं भी उस से बहुत प्यार करने लगी हूँ। उसके पास न होने से जो खालीपन मुझे लगता है मैं तुम्हे नही बता सकती शिल्पा। वो मुझसे प्यार करता था। मैं जानती थी। हाँ जानती थी मैं और जानते हुए भी मैंने उसे कभी सुनना ही नही चाहा। क्योंकि उस समय सिर्फ़ रोशन के कुछ और सोचती नही थी। समझती नही थी। लेकिन आज इतने सालो से अनमोल से दूर रह कर अपनी जिंदगी में उसकी एहमियत समझ गई हूँ मैं। आज प्यार को समझ गई हूँ मैं। रोशन के ख्याल को दूर करने के लिए ही मैं उस से आखिरी बार मिली थी। उसी के बाद मुझे अनमोल का प्यार नज़र में आने लगा। और आज जब मेरी शादी किसी और लड़के से हो रही है जिसे मैंने देखा तक नही है तो मुझे रह रह कर अनमोल की ही याद आ रही है। शिल्पा तुम सही थी की अनमोल मुझसे प्यार करता था और मैं उसे बस दोस्त ही समझती थी। और आज जब मैं उस से प्यार करती हूँ तो वो मेरी ज़िन्दगी में है ही नही।" बोलते बोलते जिया रोने लगी थी। शिल्पा ने उसे संभाला और गले लगा लिया। फिर थोडी देर उसने जिया से पुछा.."जिस लड़के से शादी हो रही है उसे देखा तक नही है मतलब तुम यह शादी किसी मजबूरी में कर रही हो जिया.....बोलो।"
"नही..ऐसी बात नही है शिल्पा..माँ और पापा ने मुझसे पुछा था..और उस लड़के से मिलने को भी कहा था। मगर मैंने ही मना कर दिया। जब लड़का मुझे नही देखना चाहता तो मेरे देखने से क्या फरक पड़ेगा। माँ और पापा ने उसे देखा है। उनकी नज़र में ठीक है यह रिश्ता यह शादी तो मैंने हाँ कर दी। हर बार मैंने अपनी ज़िन्दगी के लिए ग़लत फैसले किए है इस बार दुसरो को मेरे लिए कुछ फैसले करने दूँ। शायद वो लोग ठीक हो। ज़िन्दगी की नई शुरुवात दुसरो के किए फैसलों से...चलो अब इस तरह भी जी लिया जाए।" जिया ने बड़ी बेरुखी से कहा तो शिल्पा सोच में पड़ गई।

तभी अचानक जिया की मौसी वहां आई और जिया से बोली..."जिया खिड़की से बाहर देखो बारात आ गई है। जल्दी जल्दी...अपने दुल्हे को देख लो..अपने दुल्हे को घोडी चड़े देखना अच्छा होता है। चलो...." जिया को खिड़की की ओर ले गई उसकी मौसी।
बारात बहुत अच्छी थी। बहुत से लोग खुशी से नाच रहे थे। तभी अचानक जिया ने देखा की बारातियों में उसके सारे दोस्त शामिल थे। उसे कुछ समझ नही आ रहा था। वो सोच ही रही थी की उसका ध्यान शिल्पा ने इशारे से घोडी पे चड़े दुल्हे की ओर कर दिया। जिया ने दयां से देखा तो उसकी खुशी का ठिकाना ही नही रहा। उसे यकीन ही नही हुआ की जो वो देख रही है वो सपना है या कुछ और। दुल्हे बने अनमोल ने भी तभी खिड़की की ओर देखा और मुस्कुरा दिया। तभी शिल्पा कुछ सोच बोली..."ओह....अब समझी की क्यों लड़के ने तुझे देखने से मना कर दिया था। जिया अनमोल मुझे कुछ महीनो पहले ही मिला था तो मैंने उसे तेरे और रोशन के बीच हुई आखिरी मुलाक़ात के बारे में सब बता दिया था कि तुम रोशन से मिलने क्यों गई थी। तुम रोशन को अपनी ज़िन्दगी से पूरी तरह निकलने के लिए ही उस से आखिरी बार मिली थी। मुझे नही पता था कि अनमोल इतना सब कुछ प्लान कर लेगा।"
और फिर जिया कि शादी खूब धूम धाम से हुई। सभी दोस्तों नऐ मिलकर अनमोल और जिया के लिए खूब सारी शुभकामनाएं दी और खूब नाचे गाये। सच में एक यादगार दिन और एक यादगार शादी।

THE END
Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.

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