About Me

Monday, September 15, 2008

अब यह जहाँ रहने लायक कहाँ रहा

अब यह जहाँ रहने लायक कहाँ रहा
कहाँ वो भाई चारा कहाँ वो इंसान रहा
वो प्यार माँ के लिए पिता के लिए स्नेह अब कहाँ रहा
इतनी जमीन मेरी इतनी है तेरी धरती माता को बाँट इंसान रहा

जहाँ रहतें थे सब मिलजुल कर सब कहते थे हम एक है
वही परिवार अब बट गया बोले आधा-आधा ही ठीक है
यहाँ अब भाई भाई के खून का प्यासा है
सबका प्यारा दुलारा तो अब सिर्फ़ पैसा है

जियो और जीने दो जैसे नारा अब कहाँ
इंसानियत का कोई नही साथी हर मजहब के लोग जहाँ
सब है करते अपने अपने धर्म की बातें यहाँ
हिंदू रहे हिंदू मुस्लिम रह गए मुस्लिम यहाँ
अब गुरुनानक जी और इशु मसी के बोल कहाँ
सब इंसान कहते ख़ुद को पर इंसानियत है कहाँ

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