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Sunday, October 19, 2008

"निम्मो बुआ" (part 5)

सीमा रसोई में आ कर उनके लिए cold drinks और snacks तैयार करने लगी...क्षितिज भी रसोई से सामन ले जा कर उनकी आव-भगत करने लगा...सीमा उनके सामने नही जाना चाहती थी...इसलिए वो क्षितिज से ही काम करवा रही थी...थोड़ा नाश्ते के बाद सीमा उनके लिए खाना तैयार करने लगी....सीमा की जैसे सोचने की शक्ति ही चली गई थी...उसे समझ नही आ रहा था की वो क्या करे..उनको कैसे face करे...क्यों वो उनसे दूर भाग रही थी उसे ख़ुद नही मालूम था..आख़िर सीमा ने कुछ भी ग़लत नही किया था..फिर क्यों वो उनसे नज़र चुरा रही है...पता नही सीमा को क्या बेकार की बातें तंग कर रही थी...उसको यह सोच कर भी डर लग रहा था...की उसकी सास यह सब सुनेगी तो क्या बोलेगी..अभी तक तो सीमा उनकी चहिती बहु है...उनको पता चला तो क्या होगा...????

सीमा यह सब सोच रही थी की उसके कंधे पे किसी ने हाथ रखा...सीमा यह सब सोच कर पहले ही डरी हुई थी..इस बात से वो और डर गई...उसने पीछे मुड कर देखा तो क्षितिज था...सीमा ने एक लम्बी और गहरी साँस ली...."क्या हुआ सीमा..तुम डर क्यों गई"..क्षितिज ने पुछा..."कुछ नही..." सीमा ने जवाब दिया...क्षितिज फिर बोला.."चलो वो लोग तुम्हे बुला रहे है....."...सीमा बोली " मुझे खाना तैयार करना है.."..क्षितिज ने बहुत धीमी आवाज़ में कहा.."क्या हो जाता है तुमको..मैंने तुम्हे कितनी बार बोला है वो एक पुरानी बात है...तुमको समझना चाहिए की तुम कितनी अलग तरह से behave करने लगती हो...आखिर problem क्या है.." सीमा बोली "शितिज मैं ख़ुद नही जानती...यह सब मैं क्यों करती हूँ...बस..मुझे उनके सामने जाना अच्छा नही लगता..i m feeling very uncomfortable..."

क्षितिज "ह्म्म्म्म"...कुछ सोच कर फिर बोला.."देखो सीमा मैंने तुमको इस बारे अपनी राये कभी नही दी...कभी नही कहा की राकेश को माफ़ करो..या उसको सज़ा दो...हमेशा सोचा की तुम इस सबको handle कर लोगी...but अब नही मुझे तुमको बताना होगा की तुम दो नवो पे सवार हो....न तो तुम राकेश को माफ़ करना चाहती हो और न ही तुम उसको कोई सज़ा दे रही हो....देखो सीमा अगर कोई नदी में बीच मझधार में डूब रहा है..तो उसे यह सोच कर की नदी के बहाव में वो कभी न कभी तो नदी के किसी न किसी किनारे पहुँच ही जाएगा अपने आपको इस तरह नदी के बहाव के हवाले नही करना चाहिए.....बल्कि उसे दोनों में एक किनारा जो उसको करीब लगता हो उस तरफ़ जाने की कोशिश करनी चाहिए...या तो इधर या उधर......इस फैसले पे ही उसे अपनी पूरी जान लगानी चाहिए फिर उसे अपने आप रास्ता मिल जाएगा..और वो किसी न किसी किनारे तक जो की उसके बहुत करीब है पहुँच ही जाएगा...बीच मझदार में फसे रहने से तो वो डूब जाएगा...तुमको भी एक किनारा सोचना ही पड़ेगा...तुम पास वाले किनारे तक पहुंचने की सोचो तो सही..फिर देखना तुम्हे उस किनारे तक कैसे पहुँचना है अपने आप पता चल जाएगा...रास्ता अपने आप सामने आएगा सीमा.."

क्षितिज का इतना बोलना था...सीमा में अचानक न जाने कहाँ से एक नई शक्ति की लहर आ गई...अब उसे साफ़ साफ़ नज़र आ रहा था की उसे क्या करना है...उसके चेहरे पे ही अजीबी सा तेज था..एक नया आत्मविश्वास उसके चेहरे से झलक रहा था...

क्षितिज भी उसके चेहरे पे यह सब पढ़ चुका था....और समझ चुका था की सीमा ने कोई बड़ा फ़ैसला तो ज़रूर ले लिया है...इसलिए वो चुप चाप रसोई से चला गया....

to be continue....
Note : This story is only a Fiction, not real story, It is only for inspirational.

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